tag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post7983556238025922033..comments2023-10-21T21:19:28.543+05:30Comments on शकुनाखर: भारतीय संस्कृति की शान- तर्पण और क्षमा पर्वhem pandeyhttp://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-69735532683023344162009-09-29T09:08:37.868+05:302009-09-29T09:08:37.868+05:30inspiringinspiringjamos jhallahttps://www.blogger.com/profile/13984195512782941103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-62844412748265997712009-09-28T19:01:30.286+05:302009-09-28T19:01:30.286+05:30सहमत हूं आपसे !!सहमत हूं आपसे !!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-20432746946917686412009-09-21T09:41:07.285+05:302009-09-21T09:41:07.285+05:30बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सभी लोगों को सारे त्यौहा...बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सभी लोगों को सारे त्यौहार बड़े आनंद के साथ मनाना चाहिए! आपके पोस्ट के दौरान अच्छी जानकारी भी प्राप्त हुई! नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-32070786549963184612009-09-21T00:40:36.817+05:302009-09-21T00:40:36.817+05:30अभी मैं बहुत छोटा हूँ अपना पक्ष रखने के लिए, क्या ...अभी मैं बहुत छोटा हूँ अपना पक्ष रखने के लिए, क्या कह सकता हूँ?Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-81405122741670992142009-09-15T23:06:38.306+05:302009-09-15T23:06:38.306+05:30इन दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्मसात कर...इन दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्मसात करने की जरूरत है. इन पर्वों को अन्य धर्मावलम्बी भारतीय भी अपने तरीके से मना लें तो कोई बुराई नहीं. <br />Aapki baat se sahmat hoon.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-7661396737335561052009-09-15T23:05:57.543+05:302009-09-15T23:05:57.543+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-31939150449904771972009-09-13T20:24:22.208+05:302009-09-13T20:24:22.208+05:30हाँ यह पितरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का एक मौका ...हाँ यह पितरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का एक मौका है ! हमारे श्रेष्ठ सुनहले नियमों में से एक !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-14703210183414730222009-09-13T17:22:35.704+05:302009-09-13T17:22:35.704+05:30दोनो ही पर्व विशेश और महत्वपूर्ण हैं इन्हें श्रद्ध...दोनो ही पर्व विशेश और महत्वपूर्ण हैं इन्हें श्रद्धा भाव से सब को मनाना चाहिये बहुत सार्थक आलेख है आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-75248596256087526472009-09-12T23:02:57.595+05:302009-09-12T23:02:57.595+05:30hmare purano me aur hmare purvajo ne bhut soch smj...hmare purano me aur hmare purvajo ne bhut soch smjhkar hi hmare riti rivajo ko sthapit kiya hai .<br />parntu inko shrdhha se mnaya jay andhvishvas aur aadmbar ya dikhave se nhi .<br />aapne tarpn ke mhtv ko bhut hi shi dhang se btaya hai .achi post ke liye dhnywad .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-46739835712413678902009-09-11T19:08:32.291+05:302009-09-11T19:08:32.291+05:30dajyu namaskar.. jankaari bhal laagi...........dajyu namaskar.. jankaari bhal laagi...........Harshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-79902090059678714332009-09-11T07:32:38.242+05:302009-09-11T07:32:38.242+05:30Dajyu pelag,
kaafi dina.n baad tumar blog main aai...Dajyu pelag,<br />kaafi dina.n baad tumar blog main aaiyen...<br />padh ber dukh lago...<br />kaise humar sanskriti ki junk lagun laag go?<br />lekin prashn kar ber ke ni hol humuki iki bachunak liji le prayas karun padol.दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-3791434977114361072009-09-10T06:56:48.996+05:302009-09-10T06:56:48.996+05:30"मेरा मत है कि जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्..."मेरा मत है कि जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्रति अपने पूरे दायित्व निभाने चाहिए उसी प्रकार मृत व्यक्ति को भी समुचित तरीके से याद किया जाना चाहिए. पितृ पक्ष दिवंगतों को याद करने का ही पर्व है."<br />आप ने एकदम दुरुस्त फ़रमाया है......प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-27548000168506765252009-09-09T11:15:58.910+05:302009-09-09T11:15:58.910+05:30दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्मसात करने ...दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्मसात करने की जरूरत है. इन पर्वों को अन्य धर्मावलम्बी भारतीय भी अपने तरीके से मना लें तो कोई बुराई नहीं. <br /><br />सुन्दर विचार !! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-2480051978067753332009-09-08T17:50:04.662+05:302009-09-08T17:50:04.662+05:30sahi kaha aapne is tarah ke parvon se aatmshudhi h...sahi kaha aapne is tarah ke parvon se aatmshudhi hoti hai.... to parhej kyon ....?हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-27284921156069520032009-09-07T22:49:33.076+05:302009-09-07T22:49:33.076+05:30दोनों ही बातों पर आपसे पूरी तरह सहमत हूँ. हमें भी ...दोनों ही बातों पर आपसे पूरी तरह सहमत हूँ. हमें भी घर से दूर रहने पर भी कोई न कोई पुरखा पितृ पक्ष शुरू होने से पहले ही इसकी याद दिला ही जाता है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-86416060287182763782009-09-07T22:47:50.326+05:302009-09-07T22:47:50.326+05:30अतिउपयोगी पोस्ट.
हार्दिक बधाई.
सत्यता का उजागर भाई...अतिउपयोगी पोस्ट.<br />हार्दिक बधाई.<br />सत्यता का उजागर भाई ज्ञानदत्त जी ने अपनी टिपण्णी में कर मुहर तो लगा ही दी है.<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-80461802553751807112009-09-07T19:59:31.725+05:302009-09-07T19:59:31.725+05:30जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्रति अपने पूरे दायित्...जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्रति अपने पूरे दायित्व निभाने चाहिए उसी प्रकार मृत व्यक्ति को भी समुचित तरीके से याद किया जाना चाहिए. पितृ पक्ष दिवंगतों को याद करने का ही पर्व है.......<br />उपयोगी पोस्ट। शुक्रिया........mark raihttps://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-54004932415177434172009-09-07T11:36:12.748+05:302009-09-07T11:36:12.748+05:30मेरा मत है कि जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्रति अप...मेरा मत है कि जिस प्रकार जीवित व्यक्ति के प्रति अपने पूरे दायित्व निभाने चाहिए उसी प्रकार मृत व्यक्ति को भी समुचित तरीके से याद किया जाना चाहिए. पितृ पक्ष दिवंगतों को याद करने का ही पर्व है.<br />सहमत हूं आपसे !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-41603737418803095322009-09-06T21:14:21.442+05:302009-09-06T21:14:21.442+05:30जो सृष्टि में आया है, वह कहीं न कहीं विद्यमान भी ह...जो सृष्टि में आया है, वह कहीं न कहीं विद्यमान भी है। आना या जाना तो प्रक्रिया है। हमारी श्रद्धांजली, नमन उन्हें उसी भाव, समर्पण से प्राप्त भी होते हैं, जिससे हम उन्हें प्रेषित करते हैं। <br />उपयोगी पोस्ट। शुक्रिया।Publisherhttps://www.blogger.com/profile/01006958398741952904noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-5498070936262961942009-09-06T19:19:55.808+05:302009-09-06T19:19:55.808+05:30Pandey ji shraad paksh me pitron ki yad karaane ke...Pandey ji shraad paksh me pitron ki yad karaane ke liye dhanyaavaad.jamos jhallahttps://www.blogger.com/profile/13984195512782941103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-70379507999012373292009-09-04T16:59:48.784+05:302009-09-04T16:59:48.784+05:30एक वर्ष मुझे श्राद्ध-पक्ष का बिल्कुल ध्यान न था। उ...एक वर्ष मुझे श्राद्ध-पक्ष का बिल्कुल ध्यान न था। उस दौरान एक रात मेरे बाबाजी स्वप्न में आये और पूरी विविधता से भरा था स्वप्न। कई सालों बाद आये थे स्वप्न में।<br />बाद में पता चला श्राद्ध पक्ष का तो अहसास हुआ कि पितर भी याद करते हैं इस समय अपनी संतति को। उनका दाह संस्कार मैने ही किया था।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-28368183503771699732009-09-04T15:11:35.529+05:302009-09-04T15:11:35.529+05:30"इन दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्म..."इन दोनों ही पर्वों की भावनाओं को सभी को आत्मसात करने की जरूरत है. इन पर्वों को अन्य धर्मावलम्बी भारतीय भी अपने तरीके से मना लें तो कोई बुराई नहीं."<br /><br />बहुत उपयोगी पोस्ट लगाई है, आपने।<br />बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-30779902324338829702009-09-04T04:14:54.228+05:302009-09-04T04:14:54.228+05:30हेम भाई जैसियाराम ,
आप लिखत हौ ......
”आधुनिक समय...हेम भाई जैसियाराम ,<br /> आप लिखत हौ ......<br /><b><i>”आधुनिक समय में विभिन्न प्रकार के 'डे'(वेलेंटाइन डे, फादर्स डे आदि) मनाने वाले माडर्न लोगों को भी पितृ पक्ष से परहेज नहीं होना चाहिए ।”</i></b> पर यह आप कह किससे रहे हैं? यही आलेख आप अंग्रेजी में लिखें और वह भी ऐसी अंग्रेजी मे जो यहाँ के तथा-कथित अंग्रेजी दाँ लोगों के पल्ले न पडे़ , केवल उन्ही लोगो के पल्ले पडे़ जो उपहार और ग्रीटिन्गस के बाज़ारों को संचालित करते है ,देखिये तुरन्त अरबों के बाज़ार को कब्जियावे कै खातिर तनिकौ देर न करिहें और इकरे परचार मा लग जहियें। उअर उन्कै समझाये ई तथा-कथित आधुनिक लोग तुरन्तै समझ जाहियें ! वेलेन्टाइन डे का उदाहरण सामने है ,परन्तु वहाँ पर कुछ उलटबांसी भि है ; उसे ज्यदामशहूर तथाकथित हिन्दु रुढ़वादियों ने परसिधी दिला दी ,इन की गदहापच्चीसी से <b><i>‘वेलेन्टाइन’ का एक दिन हमरे पूरे मदनोत्सव जो वसन्त पञ्चमी से लै कै फ़गुआ ले पूरे ग्यारह दिनन कै त्योहार बाए, पै भारी पड़ गये । अरे गधों तुम दुसरन कै माल कै बुराई करै कै बदे आपन माल कै खासियत बताय कै उह्का परसिध करा ! </i> इन सभै का प्राचीन कालकै मदनोत्सव के वररन पढ़ैका चाही ,अरे ई ससुरे अधुनिकता वादी काउन खेतै कै मुरई होयेँ , बड़े-बडे़ नग्नतावादीयो भी लजाय जायेन । यही बात हमरे पितॄपख और उनके ”फ़ादर” डॆ काहे हमरि पराम्परा कै बहुत से उत्सवों के बदे कही जाय सकत है । सही परचार परसार से यहाँ लै हुइ सकत है कि वे हमार त्योहार ,उत्सव,और परम्परयें हमसे भी ज्यदा जोर-शोर से मनवे लग जायें ! जरा उन्हे उस पाश्चात जगत को अपनी मान्यताओं ,परम्पराओंऔर पर्वों के पीछे के उस समाजिक और उससे भी ज्यादा प्राकृतिक-वैग्यानिक सत्य या ‘कन्सेप्ट’ को सही ढंग से समझाईये तो ; उसके बाद, उनके “वैचारिक उतिष्ठ ” पर जीवित रहने और उससे उर्जा पाने वाले यहाँ के तथाकथित पूर्वोल्लिखित लोग भी उसे सर-माथे लगायेंगे <i> जरा अपने माल का प्राचार उस साबुन केस्टाईल म करातो जेहमा कहा जात है ,“ उस की कमीज मेरी कमीज से उजली क्योँ ? कहा जातहै ;आप अपने प्र्चार मा ई कहा मेरि कमीज तेरी कमीज से उजली काहे ,जानत हौ काहे बदे ? क्योँ कि .........”आगे पाठक गण खुद समझ दार हैं । </i></b>'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-33488626301716019652009-09-03T23:17:42.274+05:302009-09-03T23:17:42.274+05:30पुरखों को याद करना अच्छी बात है लेकिन इस पक्ष के स...पुरखों को याद करना अच्छी बात है लेकिन इस पक्ष के साथ जो कर्मकांड जुड़ गया है वह ठीक नही है । गरीब लोग अपना पेट काटकर भी इन कर्मकांडों को पूरा करते हैं यह कहाँ तक उचित है ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7425631154082837432.post-65326630508388045352009-09-03T23:01:40.292+05:302009-09-03T23:01:40.292+05:30पाण्डेय जी नमस्कार.
आप का लेख पढ कर मुझे बहुत कुछ ...पाण्डेय जी नमस्कार.<br />आप का लेख पढ कर मुझे बहुत कुछ मिलता है, यह सब बाते हमे यहां पुछनी पडती है, लेकिन जब से आप का लेख पढना शुरु किया तब से बहुत सी बाते पता चल गई है.लेकिन इस के संग एक सवाल<br />आप का धन्यवाद<br />जो नालायक बेटा ओर बेटी अपने माता पिता के जीते जी उन की सेवा तो दुर इज्जत नही कर सकता, मरने के पश्चचात करेगा ?? ओर अगर करेगा तो क्या उस के माता पिता की आत्मा उसे स्वीकार करेगी ?राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com