अन्धविश्वासी या रूढिवादी व्यक्ति अच्छी नजर से नहीं देखा जाता. उदाहरणस्वरूप यदि बिल्ली रास्ता काट जाए और इसे अपशकुन मान कोई व्यक्ति अपना कोई कार्य स्थगित कर दे तो वह पिछड़ा माना जाएगा.लेकिन मैं यहाँ, अंधविश्वास पर विश्वास न करते हुए भी उसके पक्ष में लिखने जा रहा हूँ.हमें ठीक ठीक यह मालूम नहीं है कि बिल्ली का रास्ता काटना अपशकुन(बुरा) क्यों है. लेकिन यदि बिल्ली के रास्ता काटने पर कोई व्यक्ति अपना प्रस्थान स्थगित कर देता है और ऐसा करने से उसकी कोई हानि नहीं होती तो इसमें बुराई क्या है. पिछले दिनों एक ब्लॉग में समाचार पत्रों में छपने वाले दैनिक या साप्ताहिक भविष्य फल की आलोचना की गयी थी. इन भविष्य फलों पर अविश्वास करने के बावजूद मैं यह कहना चाहता हूँ कि यदि आपके भविष्य फल में लिखा है कि नीला रंग शुभ फल दायक है. आपके पास नीली शर्ट है. उसे आप पहन लेते हैं तो हानि क्या है. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि अन्धविश्वासी बातों पर अंधविश्वास तो मत कीजिये लेकिन यदि उन बातों को मानने से किसी का कोई नुक्सान न होता हो तो उन्हें मानने में हर्ज नहीं. हाँ ये अंधविश्वास उपजे कैसे इसकी तर्क संगत खोज की जानी चाहिए. ऐसा न हो कि गहराई में जाने पर हमें मालूम पड़े कि जिसे हम अंधविश्वास मानते थे वह एक वैज्ञानिक सच्चाई है.
एक सत्य घटना देकर अपनी बात समाप्त करता हूँ.- मेरी बेटी, जो अब एक बच्ची की माँ है,जन्म के कुछ दिन भीतर ही पीलिया से पीड़ित हो गयी और उसके गले के पास एक फोड़ा हो गया,जिसका आपरेशन २०-२५ दिन की आयु के भीतर ही करना पडा था. बच्ची अस्पताल में थी और उस के जीवित रहने की आशा बहुत कम थी.हमारे एक पारिवारिक मित्र ( जिनका अहसान मैं आज भी मानता हूँ ) ने राय दी कि बच्ची की झाड़ फूंक की जावे.इन बातों पर विश्वास न होने के कारण मैंने विशेष रूचि नहीं ली.अधिक आग्रह करने पर मैं यह उपाय भी आजमाने को राजी हो गया. मैं यह नहीं मानता कि मेरी बेटी उस झाड़ फूंक से बच गयी. लेकिन यह मानता हूँ कि यदि झाड़ फूंक न की होती और उसका अनिष्ट हो जाता तो आजीवन मलाल रहता.