श्रीमती अनिता तिवारी सरस्वती विद्यामंदिर भोपाल में शिक्षिका हैं। उनके प्रथम काव्य संग्रह ''अनुभूति'' में प्रकाशित यह रचना किसी भी रचनाकार की कृति हो सकती है, आपकी भी –
जैसे
अप्सरा आसमाँ से उतरती हुई
अविरल
भागीरथी बहती हुई
जैसे
निशा में
कौमुदी दमकती हुई
ठीक वैसी ही दिखती
हमारी कृति
मन को छूती
भावशून्यता को हरती
चेतना को झकझोरती
सद्विचारों को बोती
हमारी कृति
शब्दों में ढली
भावों में पली
जीवन की यह संलग्ना सी
भानु की प्रस्फुटित रश्मियों की तरह
तिमिर को हरती
हमारी कृति
मेरी कल्पना
मेरा प्यार
मेरे शब्द
मेरे उद्गार
चमकती निहारिका सी
मेरे जीवन से बंधी
हमारी कृति
मेरी संकल्पना की
यह प्रति
सागर में उमड़ती
लहरों सी
मेरे जीवन की यह साधना
मन-मानस में बसती
हमारी कृति
मंदिर में सजी
मूर्तियों की तरह
दिखती है
कई प्रतियों की तरह
ज्योतित होती
ज्योतियों की तरह
मन को हरषाती
हमारी कृति
जाने मुझको
इससे है कितनी आस
यह
मेरी परछाई
मेरा विश्वास
मेरी आकृति दिखलाती
एक कलाकृति सी लगती
हमारी कृति