मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

लघु कथा

ब्लोगर की व्यथा

धूप कुमार जी एक ब्लोगर हैं. उनकी पोस्टों पर प्राप्त टिप्पणियों में नजर डालिए तो टिप्पणिकारों में साया जी का नाम अवश्य मिलेगा और टिप्पणियाँ भी प्रायः लम्बी चौड़ी होती हैं. साया जी धूप कुमार जी के समर्थकों की सूची में भी हैं. यह भी कहा जा सकता है कि साया जी धूपकुमार जी के फैन हैं.
एक बार धूपकुमार जी रेल से यात्रा कर रहे थे. वहां उनका एक सहयात्री से विवाद हो गया और विवाद ने तूल पकड़ लिया, यहाँ तक कि सहयात्री हाथा पाई पर उतरने की तैयारी करने लगा. किसी तरह मामला शांत हो गया लेकिन धूप कुमार जी बहुत व्यथित थे. यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने अपने इस कडुवे अनुभव को अपने ब्लॉग में ,सहयात्री की तगड़ी खिंचाई करते हुए , लिख डाला. पहली टिप्पणि साया जी की आयी -
दुनियाँ में ऐसे लोग भी होते हैं. इनकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है.

साया जी तो सारा माजरा धूप कुमार जी की पोस्ट पढ़ कर समझ चुके थे.लेकिन धूप कुमार जी कभी नहीं जान पाए कि वह सहयात्री साया जी ही थे.