मंगलवार, 17 अगस्त 2010

क्रूरता या जनरेशन गैप ?

हमारी पीढ़ी के लोग पहले पढ़ाई पूरी करते थे उसके बाद नौकरी की तलाश करते थे | आज कुछ संस्थानों में पढने वाले बच्चों के लिये कुछ कम्पनियां स्वयं नौकरी लेकर आती हैं |ऐसे संस्थानों में इंजिनीयरिंग संस्थान,प्रबंधन संस्थान और क़ानून की शिक्षा देने वाले राष्ट्रीय संस्थान शामिल हैं| इस प्रकार पाई गयी नौकरी कैम्पस सलेक्शन कहलाती है |

एक इन्जीनीअरिंग संस्थान  के कैम्पस के अन्दर संस्थान के  कुछ लड़कों को संस्थान के ही  कुछ दूसरे लड़के  पीट रहे थे | न तो वे रैगिंग ले रहे थे न ही लड़ रहे थे | वे तो सेलिब्रेट कर रहे थे|हुआ यह था कि पिटने वाले लड़कों का कैम्पस सेलेक्शन हो गया था, इस लिये अन्य लड़के उन्हें पीट रहे थे |यह उनके खुशी मनाने का तरीका था | कुछ ऐसा ही तरीका ये लोग बर्थ डे मनाने के लिये भी अपनाते हैं | जिसका जन्मदिन हो उसे उठा उठा कर पटकना  और लातें मारना इनके सेलिब्रेट करने का तरीका है |

जो तरीके इन बच्चों के लिये खुशी मनाने के साधन हैं वे हमें क्रूर लगते हैं| क्या यही जनरेशन गैप है ? क्या इस जनरेशन गैप को मिटाने के लिये हम भी अपने बच्चों को नौकरी मिलने पर बेल्ट से पीटें और उनके जन्म दिन पर उन्हें लातों से मारें ?