सोमवार, 2 अगस्त 2010

ब्लॉगिंग बन सकती है सामाजिक चेतना की प्रवर्तक - उदाहरण प्रस्तुत है

साहित्य और पत्रकारिता  ने सामाजिक चेतना जागृत की है - ऐसा प्रायः कहा जाता है | स्वतन्त्रता संग्राम के समय यह धारा संभवतः तीव्र थी | ठीक उसी प्रकार, बल्कि उससे भी अधिक ब्लोगिंग के जरिये भी सामाजिक चेतना या किसी आन्दोलन का प्रवर्तन और उत्प्रेरण किया जा सकता है | इस कार्य के लिये ब्लोगिंग अधिक अनुकूल इस लिये है क्योंकि यहाँ ब्लोगर के मध्य आपसी संवाद आसानी से संभव है | मेरी पिछली पोस्ट का ही उदाहरण ले लीजिये जहां मैंने मोबाइल सर्विस कंपनियों द्वारा की जा रही बेईमानी का जिक्र किया था | टिप्पणियों से पता चला कि इस तरह की बेईमानी से पीड़ितों की संख्या काफी बड़ी है | बेचैन आत्माजी,राजेन्द्र जी, पी. एस. भाकुनी जी, हरकीरत जी, मो सम कौन जी , बबली जी, मानोज कुमार जी और संध्या गुप्ता जी ने भी इसी तरह के अनुभव होना बताया | हरकीरत जी और विचार शून्य जी ने जहां बी. एस. एन एल पर भरोसा करने का जिक्र किया वहीं रचना दीक्षित  जी  ने बी. एस. एन. एल को भी कटघरे में खडा कर दिया |  उस पोस्ट को पढने वाले और उस पर टिपण्णी देने वाले बहुत थोड़े से लोगों में ही इतने पीड़ित निकल आये  तो पूरे देश के पीड़ितों की विशाल संख्या का अनुमान लगना आसान हो जाता है| यह निष्कर्ष आपसी संवाद से ही संभव हो पाया और यह सम्वाद संभव हो पाया ब्लोगिंग के माध्यम से|

निष्कर्ष  १ - मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियों की लूट और दादागिरी से उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या त्रस्त है | 

मो सम कौन जी ने माना कि पीड़ित होते हुए भी बीस तीस रुपये की बात मान कर हम चुप रह  जाते हैं | वास्तव में यही मानसिकता अधिकाँश पीड़ितों की है | इसी के चलते कंपनियों  को गलत काम करने की शह मिलती है|

निष्कर्ष  २  - अधिकाँश पीड़ित विभिन्न कारणों से  इस दादागिरी को सहन कर लेते हैं और कोई प्रतिकार नहीं करते |  

सतीश सक्सेना जी, बेचैन  आत्माजी, विनोद कुमार पाण्डेय जी, सदा जी और अजय कुमार जी ने इस  पीड़ा की शिकायत करने की बात कही | सतीश सक्सेना जी ने तो उपभोक्ता मंच जाने की बात कही थी | वास्तव में यदि समाधान चाहिए तो यही सही रास्ता है |

निष्कर्ष    ३ - समस्या के सही समाधान के लिये सम्बंधित अधिकारी या विभाग को शिकयात करनी चाहिए |

मुझे इस तीसरे निष्कर्ष  से  प्रेरणा मिली और  मैंने उपभोक्ता सलाह केंद्र में फोन कर के सम्बंधित कम्पनी  के हमारे शहर  के नोडल  अधिकारी और उच्च अधिकारियों के फोन  नंबर प्राप्त कर के उनसे संपर्क साधा और उनको धमकी भी दी कि यदि समाधान नहीं होता मैं दूर संचार नियामक प्राधिकरण( TRAI )  में शिकायत करूंगा | 
अंततः   कंपनी ने मुझसे जबरन वसूले पैसे मेरे खाते में वापस कर दिए | इन्हीं पैसों को वापस करने के लिये पहले वे साफ़ मना कर चुके थे | यदि मैंने इस घटना की पोस्ट ब्लॉग पर  न दी होती और उस पर प्रेरणादायक टिप्पणियाँ न आयी होतीं तो मैं भी चुप बैठ चुका था | यदि बहुत सारे पीड़ित इस तरह की शिकायतें कंपनियों के अधिकारियों से करें और समाधान न होने पर TRAI से शिकायत  करें तो हल  निकलने  की आशा की जा सकती है  |  TRAI के फ़ोन नंबर और ई मेल पता इस प्रकार हैं -

01123236308 
01123233466
ap@trai.gov.in