१७ मार्च की सुबह मेरे पास हल्द्वानी ( उत्तराखंड) से फ़ोन आया आपकी पोस्ट
भिटौली .
आज के अमर उजाला में प्रकाशित हुई है. फिर दिन में देहरादून से भी इसी आशय का फ़ोन आया. मेरी बेटी ने, निकट भविष्य में मुरादाबाद से लौटने वाले एक परिचित को, उस पोस्ट की कटिंग लाने हेतु फ़ोन किया. कुछ ही दिनों में वह कटिंग मेरे पास आ गयी.
वह 'ब्लॉग कोना' स्तम्भ की कटिंग थी. उस स्तम्भ में दो अलग अलग ब्लोगों से एक एक पोस्ट ली गयी थी. एक पोस्ट साइंस ब्लॉग से 'तकनीक ने बदली महिलाओं की जिन्दगी' थी. दूसरी पोस्ट
मेरी थी.
इससे पहले मैंने विनीता यशस्वी जी की एक
पोस्ट पढी थी,जिसमें उन्होंने बताया था की दिल्ली से प्रकाशित होने वाले हिन्दुस्तान में उनके ब्लॉग की चर्चा हुई है, जिसकी जानकारी उन्हें एक फोन से मिली. संगीता पुरी जी को भी उनकी
पोस्ट . के भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र में प्रकाशन की जानकारी किसी के फ़ोन से मिली.
इस प्रकार अनेक ब्लोगरों को उनके ब्लॉग या पोस्ट की समाचार पत्रों में हुई चर्चा का पता उनके मित्रों द्वारा लगता है. यह भी सम्भव है कि किसी ब्लॉग की चर्चा किसी पत्र में हो और उस ब्लोगर को इसका भान भी न हो.
एक ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि जहां एक ओर कुछ साहित्यकार और पत्रकार ब्लॉग विधा की आलोचना करते हैं वहीं समाचार पत्र और पत्रिकाएँ इनका नोटिस भी ले रही हैं. एक पत्रिका के सम्पादक ने कहा कि ब्लॉग लेखन का एक फायदा जरूर है कि अब लेखक अपनी कचड़ा रचनाएँ हमारे पास भेज कर हमारा समय बर्बाद न करते हुए स्वयं अपने ब्लॉग पर डाल लेते हैं. वहीं किसी ने ब्लॉग लेखन को
सम्पादक के नाम पत्र बताया है.
बहरहाल ब्लॉग लेखक को तन्मयता से अपना काम करते रहना चाहिए.यदि उसके लेखन में कुछ भी सार्थक होगा तो स्वतः ही सामने आयेगा.
भिटौली .
आज के अमर उजाला में प्रकाशित हुई है. फिर दिन में देहरादून से भी इसी आशय का फ़ोन आया. मेरी बेटी ने, निकट भविष्य में मुरादाबाद से लौटने वाले एक परिचित को, उस पोस्ट की कटिंग लाने हेतु फ़ोन किया. कुछ ही दिनों में वह कटिंग मेरे पास आ गयी.
वह 'ब्लॉग कोना' स्तम्भ की कटिंग थी. उस स्तम्भ में दो अलग अलग ब्लोगों से एक एक पोस्ट ली गयी थी. एक पोस्ट साइंस ब्लॉग से 'तकनीक ने बदली महिलाओं की जिन्दगी' थी. दूसरी पोस्ट
मेरी थी.
इससे पहले मैंने विनीता यशस्वी जी की एक
पोस्ट पढी थी,जिसमें उन्होंने बताया था की दिल्ली से प्रकाशित होने वाले हिन्दुस्तान में उनके ब्लॉग की चर्चा हुई है, जिसकी जानकारी उन्हें एक फोन से मिली. संगीता पुरी जी को भी उनकी
पोस्ट . के भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र में प्रकाशन की जानकारी किसी के फ़ोन से मिली.
इस प्रकार अनेक ब्लोगरों को उनके ब्लॉग या पोस्ट की समाचार पत्रों में हुई चर्चा का पता उनके मित्रों द्वारा लगता है. यह भी सम्भव है कि किसी ब्लॉग की चर्चा किसी पत्र में हो और उस ब्लोगर को इसका भान भी न हो.
एक ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि जहां एक ओर कुछ साहित्यकार और पत्रकार ब्लॉग विधा की आलोचना करते हैं वहीं समाचार पत्र और पत्रिकाएँ इनका नोटिस भी ले रही हैं. एक पत्रिका के सम्पादक ने कहा कि ब्लॉग लेखन का एक फायदा जरूर है कि अब लेखक अपनी कचड़ा रचनाएँ हमारे पास भेज कर हमारा समय बर्बाद न करते हुए स्वयं अपने ब्लॉग पर डाल लेते हैं. वहीं किसी ने ब्लॉग लेखन को
सम्पादक के नाम पत्र बताया है.
बहरहाल ब्लॉग लेखक को तन्मयता से अपना काम करते रहना चाहिए.यदि उसके लेखन में कुछ भी सार्थक होगा तो स्वतः ही सामने आयेगा.