रविवार, 19 अप्रैल 2009

ब्लोगर अपना अधिकतम परिचय उजागर करें ( ? )

अपनी पिछली पोस्ट में मैंने ब्लोगर को पात्र बना कर एक लघुकथा दे दी थी. उस पर दो आदरणीय, वरिष्ठ ब्लोगर्स की परस्पर विपरीत टिप्पणियाँ आई हैं, जिससे मेरे मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है.इस पोस्ट के माध्यम से मैं चाहूंगा कि उचित अनुचित के निर्णय हेतु आप सब का मार्ग दर्शन मिले.
उस लघुकथा के माध्यम से मैं केवल यह दर्शाना चाहता था कि दो ब्लोगर जो ब्लॉग के माध्यम से एक दूसरे से भली भांति परिचित हों, वास्तविक जीवन में सहसा आमना सामना होने पर एक दूसरे को पहचानने से वंचित भी रह सकते हैं.
उस पोस्ट पर 'मानसिक हलचल' के वरिष्ठ ब्लोगर आदरणीय श्री ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की यह टिप्पणि आई –
मुझे नहीं लगता कि छद्मनाम से लिखने वाले या अपने बारे में कम से कम उजागर करने वाले बहुत सफल ब्लॉगर होते हैं। आपकी जिन्दगी में बहुत कुछ पब्लिक होता है, कुछ प्राइवेट होता है और अत्यल्प सीक्रेट होता है। पब्लिक को यथा सम्भव पब्लिक करना ब्लॉगर की जिम्मेदारी है। पर अधिकांश पहेली/कविता/गजल/साहित्य ठेलने में इतने आत्मरत हैं कि इस पक्ष पर सोचते लिखते नहीं।और उनकी ब्लॉगिंग बहुत अच्छी रेट नहीं की जा सकती।


आदरणीय ज्ञान दत्त पाण्डेय जी वरिष्ठ ब्लोगर हैं और समय समय पर अपनी सारगर्भित टिप्पणियों से मेरा उत्साह वर्धन करते रहते हैं.मैं उनकी टिपण्णी में कही गयी बात को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता.


उधर घुघूती बासूती जी भी एक वरिष्ठ और आदरणीया ब्लोगर हैं.मूलतः मेरे क्षेत्र (कूर्मांचल) की होने के कारण मैं उनसे एक अलग तरह की आत्मीयता महसूस करता हूँ,जिसे इस पोस्ट को पढने वाले कूर्मांचली समझ सकते हैं. मैं ब्लॉग जगत में प्रवेश करने के पहले भी उनकी पोस्ट पढता रहा हूँ. मुझे उनकी बात को नकारने का भी साहस नहीं हो रहा है. आदरणीया घुघूती बासूती जी की टिप्पणि इस प्रकार थी-

सब के अपने अपने विचार हैं। छद्मनाम से मैं भी लिखती हूँ, अब जैसा बन पड़ता है लिखती हूँ। मुझे नहीं लगता कि यदि मैं अपना नाम पता देने लगूँ तो अचानक मेरा लेखन सुधर जाएगा।


ब्लोगर बन्धु भाई रजनीश परिहार ने भी छद्म नाम से लेखन को उचित नहीं ठहराया है.

इन तीनों टिप्पणियों से यह दुविधा उजागर हुई है कि ब्लोगर को अपने बारे में अधिक से अधिक तथ्य अपने परिचय में उजागर करने चाहिए या यह जरूरी नहीं है. यह भी विचारणीय है कि अधिकतम या न्यूनतम की सीमा क्या होनी चाहिए.