स्वाइन फ्लू के प्रकोप ने आजकल लोगों में आतंक फैला रखा है.अब तक ८०० से अधिक मरीज पाए गए हैं, जिनमें २४ की मौत हो चुकी है. भीड़ भाड़ भरे स्थानों में जाने, मास्क पहनने आदि की सलाह दी जा रही है. सरकारी स्तर पर हर संभव प्रयत्न किये जा रहे हैं. लोग भी जागरूक नजर आ रहे हैं और साधारण फ्लू होने पर भी तुंरत जांच के लिए पंहुच रहे हैं. ऐसे में एक सुखद समाचार मेरी नजर में आया जिसे मैं आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ.
तुलसी के २०-२५ पत्तों का रस या पेस्ट प्रतिदिन खाली पेट सेवन करने से स्वाइन फ्लू की संभावना से बचा जा सकता है. तुलसी वाइरल बीमारियों से लड़ने में मदद करती है.यदि व्यक्ति स्वाइन फ्लू से पीड़ित हो चुका हो तो भी इसके सेवन से स्वास्थ्य लाभ करने में मदद मिलती है. मेरी इस जानकारी का स्त्रोत याहू समाचार है.
तुलसी के औषधीय गुणों से भारतीय बहुत पहले से परिचित हैं और साधारण सर्दी जुकाम (जो वाइरस का प्रकोप है) में काढ़े के रूप में इसका सेवन करना हम लोगों के लिए आम बात है. हर हिन्दू के घर में तुलसी का पौधा होना तो आम बात है, हर गैर हिन्दू को भी तुलसी अपने घर में लगानी चाहिए. मेरी यह अपील साम्प्रदायिक न मानी जाए. आज तुलसी के औषधीय गुण विज्ञान सम्मत हैं. कल अगर तुलसी को पर्यावरण शुद्ध करने वाला पौधा पाया गया तो कोई ताज्जुब नहीं.इसलिए मैं उन लोगों को अधिक बुद्धिमान मानता हूँ जो किसी अंधविश्वास या धार्मिक मान्यताओं के अधीन तुलसी को आज भी महत्त्व देते हैं बनिस्बत उनके जो तुलसी को महत्व देने के लिए उसकी महत्ता सिद्ध होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इसी लिए मैं कहता हूँ यदि किसी मान्यता को मान लेने में कोई नुक्सान नहीं तो उसे मान लेना चाहिए.