मुझे याद आ रहा है जब कुछ वर्ष पूर्व मैं ब्रोडबैंड कनेक्शन की जानकारी लेने के इरादे से बी.एस.एन.एल दफ्तर पहुंचा तो वहाँ बैठे खिचड़ी बालों वाले एक अधेढ़ व्यक्ति ने मुझे एक पर्चा थमा दिया। जब मैंने कुछ पूछना चाहा तो उसने बड़ी बेरुखी से जवाब दिया- इस पर्चे में सब लिखा है। मैं मायूस घर लौट आया और ब्रोडबैंड कनेक्शन लेने का मेरा इरादा लंबित रहा। कुछ दिनों बाद जिस दिन मुझे अपना डायलअप कनेक्शन रीन्यू कराना था, उसी दिन एयरटेल से ब्रोड बैंड लेने हेतु एक फोन आया। मैंने तुरंत ही सम्बंधित कर्मचारी को घर पर बुलवा लिया। वह कर्मचारी पूरी तैयारी के साथ आया था और उसने मेरे निवास पर ही १५-२० मिनट के भीतर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एक या दो दिन में कनेक्शन उपलब्ध कराने का वादा किया। यह घटनाक्रम प्रातः ग्यारह बजे का है। उसी दिन शाम को चार बजे के आसपास कनेक्शन लग चुका था।
अभी दो दिन पहले एयरटेल द्वारा दिए गए मोडम ने काम करना बंद कर दिया। मैंने इसकी शिकायत उसके कॉल सेंटर में की। उपस्थित कर्मचारी ने बड़ी विनम्रतापूर्वक यह जानना चाहा कि कम्पनी के सर्विस इंजीनियर की विजिट के लिये कौनसा समय मेरे लिये सुविधाजनक होगा। मैंने उसको दिन में एक बजे से पहले का समय बताया। जवाब में मुझे बताया गया कि अपनी प्री-बुकिंग के कारण इंजीनियर को थोड़ी देर हो सकती है पर वो अधिकतम दो बजके इकतालीस मिनट उनतालीस सेकण्ड तक पहुँच जायेंगे। लेकिन सर्विस इंजीनियर मेरी सुविधानुसार साढ़े बारह से पहले ही पहुँच गए थे।
इसके विपरीत बी.एस.एन.एल के लैंड लाइन कनेक्शन को सुधरवाने के लिये मुझे सात आठ दिन की प्रतीक्षा करनी पड़ी और कॉल सेंटर में शिकायत करने के बाद लाइन मेन, सुपरवाईजर, सहायक यंत्री और अधीक्षण यंत्री तक सबसे निवेदन करना पड़ा। जब सहायक यंत्री से मैंने जानना चाहा कि कब तक फोन ठीक हो जाएगा तो उनका उत्तर था- जब आपके फोन पर घंटी बजने लगेगी।
सरकारी कम्पनियां अपनी ऐसी हरकतों से इन कंपनियों का भट्टा बैठाने और प्रतिद्वंदी निजी कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने का काम करती रहती हैं। विजय सुपर स्कूटर का नामोनिशान मिट चुका है, एच.एम.टी घड़ियाँ दुर्लभ हैं। बी.एस.एन.एल भी इसी राह पर चले जाए तो कोई ताज्जुब नहीं।
अभी दो दिन पहले एयरटेल द्वारा दिए गए मोडम ने काम करना बंद कर दिया। मैंने इसकी शिकायत उसके कॉल सेंटर में की। उपस्थित कर्मचारी ने बड़ी विनम्रतापूर्वक यह जानना चाहा कि कम्पनी के सर्विस इंजीनियर की विजिट के लिये कौनसा समय मेरे लिये सुविधाजनक होगा। मैंने उसको दिन में एक बजे से पहले का समय बताया। जवाब में मुझे बताया गया कि अपनी प्री-बुकिंग के कारण इंजीनियर को थोड़ी देर हो सकती है पर वो अधिकतम दो बजके इकतालीस मिनट उनतालीस सेकण्ड तक पहुँच जायेंगे। लेकिन सर्विस इंजीनियर मेरी सुविधानुसार साढ़े बारह से पहले ही पहुँच गए थे।
इसके विपरीत बी.एस.एन.एल के लैंड लाइन कनेक्शन को सुधरवाने के लिये मुझे सात आठ दिन की प्रतीक्षा करनी पड़ी और कॉल सेंटर में शिकायत करने के बाद लाइन मेन, सुपरवाईजर, सहायक यंत्री और अधीक्षण यंत्री तक सबसे निवेदन करना पड़ा। जब सहायक यंत्री से मैंने जानना चाहा कि कब तक फोन ठीक हो जाएगा तो उनका उत्तर था- जब आपके फोन पर घंटी बजने लगेगी।
सरकारी कम्पनियां अपनी ऐसी हरकतों से इन कंपनियों का भट्टा बैठाने और प्रतिद्वंदी निजी कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने का काम करती रहती हैं। विजय सुपर स्कूटर का नामोनिशान मिट चुका है, एच.एम.टी घड़ियाँ दुर्लभ हैं। बी.एस.एन.एल भी इसी राह पर चले जाए तो कोई ताज्जुब नहीं।