आज कुछ प्यार मोहब्बत की बातें - किसी शायर ने कहा भी है :
इश्क के मकतब में मेरी आज बिस्मिल्लाह है
मुंह से कहता हूँ अलिफ़, दिल से निकलती आह है.
और शायद इसी प्यार मोहब्बत का मारा कोई शायर कहता है :
नासह मत दे नसीहत जी मेरा घबराय है
मैं उसे समझूं हूँ दुश्मन जो मुझे समझाय है.
तारा शंकर बंदोपाध्याय अपने उपन्यास महाश्वेता में प्रेम के बारे में कहते हैं :
श्रद्धा प्रेम है,स्नेह भी प्रेम है और प्रेम भी प्रेम है.
स्त्री की चाहत के बारे में इला चन्द्र जोशी ने कुछ यों लिखा है :
नारी का मन ऐसा रहस्यमय है कि जिस व्यक्ति के सम्बन्ध में वह समझती है कि वह उससे घृणा करती है, अक्सर उसी को वह अंतस्तल में सबसे अधिक चाहती है.
उधर बेधड़क बनारसी प्यार में कुछ इस तरह तड़पते हैं :
प्रेयसी,चाँद यदि तुम बनोगी, दिल अपोलो बनेगा हमारा
हम गरीबों ने है यह पुकारा , नेशन्लाइजेशन हो हुस्न सारा
प्यार में आहत हो किसी शायर ने यों कहा :
नजर की राह से दिल में उतर के चल देना
यह रास्ता बहुत अच्छा है आने जाने का
मोहब्बत करने वाले की दशा पर शेख गुलाम हमदानी 'मुसहफी' ने कहा :
कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं के आसार
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं
आगा जान 'ऐश' मानते हैं कि इश्क छुपाया नहीं जा सकता :
इश्क और मुश्क छुपाये से कहीं छुपता है
दर्दे दिल लाख छुपाया पे छुपाया न गया
शायर अकीन इश्क को लाइलाज मानते हैं :
काबे भी मैं गया, न गया बुतों का इश्क
इस मर्ज की खुदा के घर में भी दवा नहीं
शेफ्ता मोहब्बत की परिभाषा यों देते हैं :
शायद इसी का नाम मोहब्बत है ' शेफ्ता '
इक आग सी है सीने के अन्दर लगी हुई ।
(क्रमशः)
वाह जी वाह बेहतरीन इतने अच्छे अच्छे शायरों को एक साथ पढाना काबिलेतारीफ
जवाब देंहटाएंWah kya khub kaha apne.....
जवाब देंहटाएंप्रिय पाण्डेय जी /मुझे आपके ब्लॉग का पता नही था वरना आपको बहुत पहले से पढ़ना शुरू कर देता /आज माँ वाला और मुआबजा वाला लेख देख तो लिया है एकाध दिन में फुर्सत निकल कर पढूंगा फले आज की बात कर लें /अलिफ़ बोलते है तो आह निकल जाती है बहुत गंभीर चिंतन /यह भी बढ़िया के गुरु की नही हम तो दुश्मन की बात समझेंगे /दुर्भाग्य से महाश्वेता उपन्यास नहीं पढ़ पाया हूँ /नारी मन के रहस्य को जानने की लोग कोशिश करते क्यों है जान कर क्या कर लेंगे / बेधरक हों या कोई भी हास्य के लिए कुछ भी कह सकते हैं /
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात है आप अध्ययन भी बहुत करते हो और लोगो में अध्ययन को शेयर भी करते हो /धन्यबाद
आपने शेरों का उम्दा इस्तेमाल कर बेहतरीन पोस्ट तैयार की है । प्रेम को इतने अलग-अलग अंदाज़ के शेरों के ज़रिए बयां कर अपने वाकई कमाल कर दिया ।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आपका मेरे ब्लॉग पे ढेरो स्वागत है ..आपका स्नेह परस्पर बना रहे यही उम्मीद करता हूँ
जवाब देंहटाएंमिश्रित शे'रो से एक बेहद उम्दा पोस्ट तैयार करा है आपने बहोत पसंद आए ..ढेरो बधाई आपको...
अर्श
जो बेहतर था सब सफ्हे पर सहेज दिया
जवाब देंहटाएंअब यहाँ और आगे क्रमश:को खोजता हूँ मैं
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चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
नासह मत दे नसीहत जी मेरा घबराय है
जवाब देंहटाएंमैं उसे समझूं हूँ दुश्मन जो मुझे समझाय है.
वाह...!! बेहतरीन पोस्ट तैयार की है ।
प्रेयसी,चाँद यदि तुम बनोगी, दिल अपोलो बनेगा हमारा
जवाब देंहटाएंहम गरीबों ने है यह पुकारा , नेशन्लाइजेशन हो हुस्न सारा
ऐसे भी शेर लिखे गए गए हैं पता न था. कमबख्त इश्क जो न कराये कम हैं.
prerit karne hetu bahut bahut dhanyavad !!
जवाब देंहटाएंbhavdiya
mahesh
sir itni praabhavshali poem hai ..bahut sundar composition hai .
जवाब देंहटाएंbahut badhai ...
sir meri kuch aur kavitao ko aapka pyar chahitye..
aapka vijay
poemsofvijay.blogspot.com
wah kya bat hai..itne achche sayar bahi mujhe malum hi nahi tha!
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