चुनाव के मौसम में कुछ राजनैतिक दल सुशासन का नारा भी बुलंद करते आए हैं। सुशासन कैसा होता है , दुर्भाग्यवश यह हम आजादी के बाद से अब तक नहीं देख पाये हैं। कामना है कि आने वाली पीढी उसे देख पाये।
सुनते हैं लालूजी के पटना से पलायन के बाद बिहार में सुशासन की थोड़ी बहुत झलक दिखाई देती है। ये सूचना हमें समाचार पात्र और टी वी से मिली। हमने बिहार के सुशासन का अनुमान लगाया है। शायद अब वहाँ मुख्य मंत्री के रिश्तेदारों का दर्जा भगवानके बाद दूसरे से हट कर नीचे आ गया होगा। शायद पटना में अब रात को आठ बजे बाद भी सड़कों में निकलने की हिम्मत की जा सकती होगी।
ऐसे ही सुशासन की कुछ ख़बर हमने समाचार पत्रों में मध्य प्रदेश के बारे में पढी थी। विधान सभा चुनावों के बाद संचार माध्यमों ने हमें बताया था कि वहाँ मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुशासन ने भाजपा को दुबारा सत्ता दिलाई है। आजादी के बाद से ही सुशासन की राह ताकने को मजबूर हमने स्वयं सुशासन के दर्शन करने की ठानी और राजधानी भोपाल पंहुच गए। हमारा मानना है कि भोपाल में सर्वोत्तम दर्शनीय स्थल बड़ा तालाब है। इस तालाब को हम पहले देख चुके थे। इसकी विशालता और बरसात में उठती ऊंची ऊंची लहरों ने हमें समुद्र दर्शन का आनंद दिया था। सो सबसे पहले हमने तालाब देखने की ठानी।
तालाब दर्शन हेतु जाते हुए रास्ते में ही हमें वहाँ के सुशासन के दर्शन हो गए। सड़कें खुदी हुई थीं। पता चला कि पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़कें खुदी हुई हैं।यह हाल पिछले २०-२५ दिनों से था। उन सड़कों में जो वाहन चला ले वह सर्कस के मौत के कुएं में वाहन चलाने का आनंद ले सकता था। वाहन के शाकाप , पिस्टन आदि की चिंता इंश्योरेंस वालों पर छोड़ते हुए हम एक चौराहे पर पहुँच गए। हमें लगा सुशासन इसी चौराहे पर है। क्योंकि वहाँ लाल हरी बत्तियां न केवल लगी हुई थीं अपितु काम भी कर रही थीं। यही नहीं वहाँ ट्रेफिक का एक सिपाही भी खडा था। उस चौराहे पर हम भोपाल वासियों के वाहन चलाने की योग्यता के कायल हो गए। बत्तियां क्रमानुसार जल बुझ रही थीं,क्योंकि उनका काम जलना बुझना था और यदि काम सुचारू रूप से हो रहा है तो सुशासन है। वाहन चालाक शायद रंगभेदी नीति के घोर विरोधी थे। वे बत्तियों के रंगों की तनिक भी चिंता न करते हुए ,एक दूसरे से होड़ करते हुए , आधा पौन इंच के फासले से कट मारते हुए वाहन दौड़ का अभ्यास करते प्रतीत होते थे.हमें लगा यदि ओलम्पिक में वाहन दौड़ प्रतियोगिता होती हो तो अभिनव बिंद्रा के बाद कोई भोपाल वासी अपने दम पर देश के लिए स्वर्ण पदक ला सकता है। ट्रेफिक का सिपाही आसपास के घटना क्रम से निर्लिप्त रहते हुए राम राज्य और सुशासन दोनों की ही गवाही दे रहा था। राम राज्य में प्रजा सुखी रहती है और सिपाही ट्रेफिक नियमों की धज्जियाँ उडाने वाली प्रजा की अनदेखी करके उन्हें सुखी बना रहा था। साथ ही ड्यूटी टाइम में ड्यूटी पर मौजूद रहते हुए सुशासन के दर्शन करा रहा था।
हमारे मेजबान ने हमें एक तालाबनुमा पोखर के सामने ले जाते हुए कहा - यह रहा बड़ा तालाब। हमने उन्हें किसी मनोचिकित्सक से मिलने की सलाह देते हुए कहा- भाई इन छोटे तालाबों को देखने की हमें कोई चाह नहीं है, हमें बड़ा तालाब ले चलो। जवाब में उन्होंने हमें नेत्र चिकित्सक से मिलने की सलाह देते हुए आश्वस्त किया कि यही भोपाल की शान बड़ा तालाब है। तालाब की दुर्दशा देख हमें ऐसा धक्का लगा कि हम मेजबान से ह्रदय रोग चिकित्सक का पता पूछने लगे। हमें लगा शायद सुशासन इसी तालाब में समा गया है।
मध्य प्रदेश में स्थानीय शासन द्वारा पानी सप्लाय की भी दयनीय स्थिति है। राजधानी भोपाल में एक दिन छोड़ पानी आता है। अन्य स्थानो,जिनमें क्षिप्रा नदी के किनारे बसा उज्जैन भी शामिल है, में और भी बुरी हालत है। कहीं पुलिस के पहरे में पानी का वितरण होता है तो कहीं पानी के टैंकर को लूटने की घटना सामने आती है। हमने जगह जगह सरे आम मोटर द्वारा सप्लाय लाइन से पानी की चोरी होते हुए देखा, लेकिन सुशासन इसे शायद इस लिए नहीं देख पाता क्योंकि पानी की सप्लाय सुबह होती है और काम के बोझ का मारा सुशासन तब तक जग नहीं पाता होगा।
हमें लगा कि सुशासन को लाने में मतदाता सहयोग नहीं दे रहे हैं। मतदाता यदि अटलजी को भारत को कुछ दिन और चमकाने देते तो अटल जी भारत की नदियों को जोड़ करे सुशासन ले आते और मध्य प्रदेशवासियों को पानी मिल जाया करता। हम समझ गए कि मतदाता ही सुशासन की राह के रोडे हैं।
मध्य प्रदेश ऊर्जा की बचत के मामले में भी सुशासित लगा। वहाँ घंटों बिजली गुल रहती है और इस प्रकार ऊर्जा बचत हेतु अन्य प्रदेशों के लिए एक प्रेरणाश्रोत बन गया है। वहाँ की बिजली बोर्ड ने बिजली चोरी रोकने का एक अनूठा सिद्धांत निकाला है, जिसे सुन बोर्ड के अधिकारियों की प्रतिभा और सुशासन लाने के उनके प्रयासों ने हमें चौंका दिया। शायद सुन के आप भी कम हैरान नहीं होंगे। वे लोग उन लोगों के प्रति कोई कार्रवाई नहीं करते जो बिजली चोरी करते हैं। वे उन क्षेत्रों की बिजली में कटौती करते हैं जिन क्षेत्रों में बिजली चोरी होती है। खुले आम में लाइन में तार डाल बिजली चोरी करने वालों को रोकना वे झंझट का काम समझते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों की दादागिरी से पंगा लेने की अपेक्षा ईमानदारी से बिजली का बिल भरने वालों की बिजली काट देना आसान होता है।
सड़क, बिजली,पानी के सुशासन को देख हम उबरे ही थे कि समाचार पत्र पर नजर पडी - चार माह में ७२ लूट! यह आंकडा भोपाल शहर काम था। पता चला अधिकाँश शिकार लाडली लक्ष्मियाँ ( महिलाएं ) थीं। हमने कहा- आख़िर महिलाएं चेन पहन, हेंड बैग लटका, मोबाईल हाथ में ले दूर दूर जाती क्यों हैं ? क्या जब तालिबान आयेंगे तभी इन पर लगाम लगेगी ? अफ़सोस ! हमें बताया गया- बहुत सारी घटनाएं दूध लेने जाते हुए या कुत्ते को घुमाते हुए घर के आसपास ही हुई थीं और घटनाओं को अंजाम देने वाले अन्य शहरों से आए हुए इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले छात्र हैं। हम तुंरत माजरा समझ गये। लोग अपनी औकात जाने बिना लड़कों को इंजीनियरिंग की पढाई के लिए भेज देते है। उनकी फीस, किताबें, रहना,खाना और थोडा बहुत जेब खर्च की व्यवस्था तो वे जैसे जैसे जैसे जैसे तैसे करते हैं लेकिन मंहगे मोबाईल ,bike का फालतू पेट्रोल, शराब - सिगरेट का खर्च भेजने में उनकी नानी याद आ जाती है। युवा भावी इंजिनियर भी अपने माँ बाप की आर्थिक स्थिति का आकलन कर उन पर बोझ न बनते हुए विदेशों की तर्ज पर स्वावलंबी बनने का प्रयास करते दिखाई देते है।
हम निराश हो गए। हम जिस सुशासन के दर्शन करने आए थे वह हमें यहाँ भी नहीं मिला। तभी किसी ने कहा- chintaa मत करो , १६ मई को sushaasan आने वाला है। क्या वाकई ?
अपनी तकनीकी अज्ञानता के चलते यह पोस्ट सही तरीके से प्रकाशित नहीं हो पाई और कुछ शब्द भी हिन्दी में नहीं आ पाए. क्षमा प्रार्थी हूँ.
जवाब देंहटाएंप्रयास सार्थक रहा बात कन्वे हो गयी और क्या चाहिए
जवाब देंहटाएं---
सुशासन हो तो ऐसा!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
badhia lekh padh kar gyan vardhan hua,sushan aane wala hai.
जवाब देंहटाएंbahut khoob vyangya hai...
जवाब देंहटाएंkoi haalat nahi badlenge...prashashan sushashan dene se rahee....
जवाब देंहटाएंhaan aise kisi taalab ko thoda behtar banaaye rakhne ke liye hum jaise log bhi apni chhoti koshish to kar hi sakte hai
www.pyasasajal.blogspot.com
sushaashan ko aapne naye tarike ke paribhaashit kiya ....we r waiting for sushaashan in india...
जवाब देंहटाएंबहुत सुशासन झेले हैं देश ने, एक और झेल लेंगे!
जवाब देंहटाएंहम तो झेलते ही आये हैं, और पुनः झेलने के लिए तैयार बैठें हैं.
जवाब देंहटाएंप्रजातंत्र में इसके आलावा और कोई चारा भी नहीं, क्योंकि हम चाहे कितना कोसे, पर हर बार चुनना उन्ही में से ही होता है..............
चन्द्र मोहन गुप्त
भोपाल प्रवास के ऐसे ही संस्मरण अपुन के भी हैं -भोपाल ही क्यों ? यही हाल अब और शैरोन के भी हो रहे हैं !
जवाब देंहटाएंसच है सुशासन कब कुशासन में बदल जाता है ..पाता ही नहीं चलता ...
जवाब देंहटाएंकुशासन के लिए बहुत कुछ जनता भी जिम्मेवार है। बिहार में नीतीश कुमार ने जो अच्छे काम किए हैं उनमें एक है आईपीएस अधिकारी डीएन गौतम को डीजीपी बनाना। बिहार पुलिस के सबसे ईमानदार अधिकारी के रूप में विख्यात होने के बावजूद श्री गौतम को अब तक सारे मुख्यमंत्रियों ने उपेक्षित ही किया था। अब इतनी अनुकूल स्थिति के बावजूद पब्लिक दारोगा को घूस देती ही रहे तो उसका दोष तो है ही।
जवाब देंहटाएंजब तक बागडौर संभालते रहेंगें दुशासन
जवाब देंहटाएंतब तक कैसे आ पाएगा सुशासन!!!
संस्मरण बांटा इस के लिए धन्यवाद..वैसे इस तरह के सुशासन की खबरें अन्य शहरों से भी सुनी जाती हैं.
जवाब देंहटाएंbahut sundar post hai padvane ke liyeshukria.................
जवाब देंहटाएंबुलबुलें खुश थीं
जवाब देंहटाएंखुशियों के तराने गाये
की लेके पतझड़ से बहारों को चमन सौंप दिया
शीश धुनती है अब वही बागों की
जहरीली हवा ,क्या होना था और क्या हो गया
आदरणीय हेम जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे शब्दों में आपने संस्मरण लिखा है ..अच्छी पोस्ट .
हेमंत कुमार
बहुत बहुत शुक्रिया आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए!
जवाब देंहटाएंमुझे आपका ये पोस्ट बेहद पसंद आया! बहुत खूब लिखा है आपने!इसी तरह लिखते रहिये!
you are pesenented a very real picture and it is not only in MP and Bihar
जवाब देंहटाएंall these loopholes exist all over India
can u suggest any idea to break this corruption cycle and to save honest peoples
Hi,
जवाब देंहटाएंThank You Very Much for sharing this informative interesting article here.
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