शनिवार, 16 मई 2009

कचड़ा दर्शन

आज सुबह के भ्रमण के दौरान मेरा चिंतन कचड़े के एक ढेर के पास जाग उठा.उस स्थान पर नगर नि़गम वालों ने एक ट्रोली रखी थी, जिसमें कचड़ा डाला जाना चाहिए. लेकिन अधिकांश कचड़ा ट्रोली के आसपास बिखरा था, जो हमारी नागरिक चेतना को उजागर कर रहा था. कचड़ा बीनने वाले दो लड़के उस ढेर से अपने मतलब का कचड़ा बीन रहे थे, जिसे बेच कर वे कुछ धन प्राप्त कर सकें.मेरा चिंतन बोल उठा- कचड़ा भी सापेक्ष होता है. जो एक के लिए कचड़ा है वही दूसरे के लिए मूल्यवान हो जाता है. साहित्यकार पत्रकार श्री राजेन्द्र यादव ब्लॉग लेखन को कचड़ा करार देते हैं, लेकिन हम जैसों को ब्लॉग में एक नहीं अनेकों सार्थक चीजें मिल जाती हैं.

सराफा बाजार में मैंने सफाई कर्मियों को घंटों नाली की सफाई करते देखा है. वे इस मनोयोग से अपनी ड्यूटी नहीं करते , बल्कि उस नाली में कुछ सोने के कण ढूंढ रहे होते हैं. भारतीय मतदाता इतना भाग्यशाली तो नहीं कि उसे कचड़े के ढेर में सोना मिल जाए. लेकिन उसने अपना कर्त्तव्य पूरा कर दिया. उसे कचड़े का एक ढेर दिया गया था और कहा गया था कि इसमें जो थोड़ा बहुत काम का कचड़ा दिखे उसे छांट लो. सो उसने कर दिखाया. जय भारत.

17 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक ठाक तो बीन लिया..संतुष्ट हैं इतनी सफाई से.

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  2. कही पे निगाहें कही पे निसाना वाली बात है
    क्या बात है

    वीनस केसरी

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  3. काम चालू है । चिंता मत करिये भारतीय आदमी प्रवृत्ति और प्रकृति से ही थोड़ा आलसी है । इसलिये कचरा उठाने में थोड़ी आनाकानी करेगा ,लेकिन जिस दिन जुट गया उस दिन पूरी तर्ह निपटा कर ही मानेगा ।

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  4. बिलकुल...जो भी दिया गया था उसमे से चुनाव तो कर लिया पर क्या वो सब की पसंद है?जनता करे भी तो क्या..?विकल्प बहुत ही सिमित है..!४० परसेंट..पोलिंग में जितने वाले को मिले २३ परसेंट ..!क्या ये सब की पसंद हुई...?

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  5. panday ji bachpan se padte aaye hain ki kamal keechad me hi khiltaa hai,
    gudree mai laal miltaa hai,
    sunte aaye hain ki
    keechad beenne se rozgaar miltaa hai,kal dekhaa ki
    kamal bechaare ko haath lag gayaa so nahi khilaa
    lekin kachra binne ko rozgaar parak banaayaa jaa saktaa hai.

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  6. बहुत खूब......कचरे के ढेर को आपने बखूबी राजनीति से जोड़ा है ......!!

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  7. kya baat hai hem pandey ji, chhote se lekh men bahut kuchh kah diya. aapke blog par aana safal raha. aapka shukraguzar hun , ki aap meri har rachna na sirf padhte hain , us par comment bhi karte hain, punah dhanyawaad.

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  8. कहाँ राजेन्द्र यादव जी की बात ले बैठे आप...वो तो कविताओं को भी कचड़ा मानते हैं।

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  9. namaskar ,

    aapki post padhkar aaj ki raajniti kaisi hai ..iska andaaja ho jaata hai .. itne aache lekhan ke liye badhai sweekare karen..


    meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

    aapka

    vijay

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  10. kichad me kamal khikte hai ye to suna hai apne to kachre me gulab khila diye .
    bdhai

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  11. यार क्या बात है, मान गये, अब क्या कहें? "प्रथम लाइन ही सब बयाँ कर देती है"

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