आज सुबह के भ्रमण के दौरान मेरा चिंतन कचड़े के एक ढेर के पास जाग उठा.उस स्थान पर नगर नि़गम वालों ने एक ट्रोली रखी थी, जिसमें कचड़ा डाला जाना चाहिए. लेकिन अधिकांश कचड़ा ट्रोली के आसपास बिखरा था, जो हमारी नागरिक चेतना को उजागर कर रहा था. कचड़ा बीनने वाले दो लड़के उस ढेर से अपने मतलब का कचड़ा बीन रहे थे, जिसे बेच कर वे कुछ धन प्राप्त कर सकें.मेरा चिंतन बोल उठा- कचड़ा भी सापेक्ष होता है. जो एक के लिए कचड़ा है वही दूसरे के लिए मूल्यवान हो जाता है. साहित्यकार पत्रकार श्री राजेन्द्र यादव ब्लॉग लेखन को कचड़ा करार देते हैं, लेकिन हम जैसों को ब्लॉग में एक नहीं अनेकों सार्थक चीजें मिल जाती हैं.
सराफा बाजार में मैंने सफाई कर्मियों को घंटों नाली की सफाई करते देखा है. वे इस मनोयोग से अपनी ड्यूटी नहीं करते , बल्कि उस नाली में कुछ सोने के कण ढूंढ रहे होते हैं. भारतीय मतदाता इतना भाग्यशाली तो नहीं कि उसे कचड़े के ढेर में सोना मिल जाए. लेकिन उसने अपना कर्त्तव्य पूरा कर दिया. उसे कचड़े का एक ढेर दिया गया था और कहा गया था कि इसमें जो थोड़ा बहुत काम का कचड़ा दिखे उसे छांट लो. सो उसने कर दिखाया. जय भारत.
ठीक ठाक तो बीन लिया..संतुष्ट हैं इतनी सफाई से.
जवाब देंहटाएंकही पे निगाहें कही पे निसाना वाली बात है
जवाब देंहटाएंक्या बात है
वीनस केसरी
काम चालू है । चिंता मत करिये भारतीय आदमी प्रवृत्ति और प्रकृति से ही थोड़ा आलसी है । इसलिये कचरा उठाने में थोड़ी आनाकानी करेगा ,लेकिन जिस दिन जुट गया उस दिन पूरी तर्ह निपटा कर ही मानेगा ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल...जो भी दिया गया था उसमे से चुनाव तो कर लिया पर क्या वो सब की पसंद है?जनता करे भी तो क्या..?विकल्प बहुत ही सिमित है..!४० परसेंट..पोलिंग में जितने वाले को मिले २३ परसेंट ..!क्या ये सब की पसंद हुई...?
जवाब देंहटाएंpanday ji bachpan se padte aaye hain ki kamal keechad me hi khiltaa hai,
जवाब देंहटाएंgudree mai laal miltaa hai,
sunte aaye hain ki
keechad beenne se rozgaar miltaa hai,kal dekhaa ki
kamal bechaare ko haath lag gayaa so nahi khilaa
lekin kachra binne ko rozgaar parak banaayaa jaa saktaa hai.
hahaha.......apna bharat mahaan , yahan ki karya-pranaali yahi hai
जवाब देंहटाएंबहुत खूब......कचरे के ढेर को आपने बखूबी राजनीति से जोड़ा है ......!!
जवाब देंहटाएंkya baat hai hem pandey ji, chhote se lekh men bahut kuchh kah diya. aapke blog par aana safal raha. aapka shukraguzar hun , ki aap meri har rachna na sirf padhte hain , us par comment bhi karte hain, punah dhanyawaad.
जवाब देंहटाएंकहाँ राजेन्द्र यादव जी की बात ले बैठे आप...वो तो कविताओं को भी कचड़ा मानते हैं।
जवाब देंहटाएंमुझे अपनी पोस्ट चिन्दियां बीनने वाला याद आ गयी!
जवाब देंहटाएंnamaskar ,
जवाब देंहटाएंaapki post padhkar aaj ki raajniti kaisi hai ..iska andaaja ho jaata hai .. itne aache lekhan ke liye badhai sweekare karen..
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
vijay
Jai ho.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut sundar aur acha chitran kiya hai
जवाब देंहटाएंkichad me kamal khikte hai ye to suna hai apne to kachre me gulab khila diye .
जवाब देंहटाएंbdhai
यार क्या बात है, मान गये, अब क्या कहें? "प्रथम लाइन ही सब बयाँ कर देती है"
जवाब देंहटाएंWah....!!!
जवाब देंहटाएंkya baat hai.
जवाब देंहटाएंbahot khoob .sahi vishleshan kiya hai aapne