दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने हेतु लोगों के अपने अपने तरीके हैं. कुछ लोग समाचार पत्रों में विज्ञापन दे कर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हैं. एक परिवार द्बारा अपने दिवंगत आत्मीय की
प्रथम पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि देने हेतु दिए गए विज्ञापन में मैंने एक कविता पढी.मैं न तो उस दिवंगत आत्मा को जानता हूँ. न उनके परिवार को. मुझे यह भी मालूम नहीं कि कविता उस परिवार ने कहीं से उद्धृत की है या परिवार के ही किसी सदस्य ने लिखी है. वह कविता मुझे एक उत्कृष्ट रचना लगी. मैं उसे आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ -
पत्र में मैंने लिखी
कुछ वेदना की बात थी,
नम आँखों की दवात में,
स्याही भी पर्याप्त थी |
वर्ष भर लिखता रहा
तुम्हारे विछोह में,
किन्तु पत्र भेज न सका
पते की उहापोह में -
पता भी अज्ञात था,
शहर-गली अज्ञात थी -
सिर्फ नाम लिख दिया पत्र डाल दिया डाक में -
दूसरे ही दिन खड़ा था, देख कर अवाक मैं,
पत्र ले कर मेरे सामने खड़ा था डाकिया
मेरे अन्दर ही तो उसने, तुम्हें था जो पा लिया ||
पत्र ले कर मेरे सामने खड़ा था डाकिया
जवाब देंहटाएंमेरे अन्दर ही तो उसने, तुम्हें था जो पा लिया।।
बेहद मार्मिक रचना!!!
मर्मस्पर्शी...उफ़्फ़!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ, सर इस प्रस्तुती के लिये।
बड़े दिनों बाद आये हैं आप ब्लौग में?
मार्मिक रचना आभार्
जवाब देंहटाएंसीधे हृदय में उतर गई बहुत भीतर तक.
जवाब देंहटाएंkya baat hai..ise kahte hai shradhanjli....jo ander tak chali gayi ..use dikhawe ki jaruret hi nahi....
जवाब देंहटाएंआदरणीय हेम जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक पंक्तियाँ हैं, और आपने भी बड़ी शिद्दत से संभाली ब्लॉगर्स के साथ बांटी।
साधुवाद,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
दिल से निकली हुई वेदना है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पते की उहापोह में -
जवाब देंहटाएंपता भी अज्ञात था,
... sundar rachanaa !!!!
nice posting
जवाब देंहटाएंyes its your kind heart that you promoted others concept
बस यही कहने को मन करता है - वाह !
जवाब देंहटाएंवर्ष भर लिखता रहा
जवाब देंहटाएंतुम्हारे विछोह में,
किन्तु पत्र भेज न सका
पते की उहापोह में -
पता भी अज्ञात था,
मैं नहीं जनता कि किस की रचना है पर इस के लिए श्रेय तो आप को ही दिया जायेगा |
इधर हाल में पढ़ी गयी विभिन्न मार्मिक रचनाओं में से लगातार आपही द्वारा प्रस्तुत दोनों में से ज्यादा मार्मिक कौन सी है यह निर्णय मैं नहीं कर प् रहा हूँ | यह आप ही पर छोड़ता हूँ |
आप कबीरा के झोपडे पर आये आभारी हूँ ,धन्यवाद |
कल ही टिप्पणी कर ने आया था कॉपी पेस्ट के चक्कर में साफ होगया | इधर मेरे कई पाठकों में ईमेल द्वारा सूचित किया की पोस्ट के नीचे का बॉक्स वाला कमेन्ट बॉक्स सही नहीं चल रहा है [एम्बेडेड ] और इधर मैंने हिंदी पिटारा टूल ब्राउजर बार डाउन लोड किया है इस से कॉपी , तथा इसमें पेस्ट वाला दोनों कार्य की-बोर्ड सेही होंगे , नीचे के बॉक्स में यही प्रक्रिया अपनानी पड़ती है ईस में जरा सा भी सामंजस्य बिगडा तो लिखा- पढ़ा निरक्षर | कल मेरे साथ यही हुआ आप के ब्लॉग पर इसी पोस्ट पर टिप्पणी करने की कोशिश में | मैंने तुंरत एबेडेड बोक्स्स हटा फुल पेज करदिया है ,पिटारा टूल के द्वारा अपनी टिप्पणी सीधे कमेन्ट टाइप कर सकता हूँ ; यह सुविधा केवल फुल पेज vale comment box ही यह सुविधा है |
अत्यंत मार्मिक दिल को छू लेने वाली रचना
जवाब देंहटाएंमार्मिक पंक्तियाँ, दिल को छू लेने वाली...........
जवाब देंहटाएंपते की उहापोह में -
पता भी अज्ञात था,