एक गोष्ठी में शायर और कवियों के बीच समस्या पूर्ति का कार्यक्रम चल रहा था। अर्थात कोई एक शायर या कवि शायरी या कविता की एक पंक्ति बोलता और बाकी लोग उस पंक्ति की अगली पंक्ति बोलते। वहाँ उपस्थित एक मुसलमान शायर ने एक पंक्ति पढी :
हैं वो काफिर जो बन्दे नहीं इस्लाम के
पंक्ति पढने के बाद शायर महोदय शारारत भरी नजरों से साथी हिन्दू शायर की तरफ देखने लगे। हिन्दू शायर महोदय तो मानो इस पंक्ति के रस में डूब गए थे।मुसलमान शायर की इस पंक्ति पर जबर्दस्त वाहवाही देने के बाद हिन्दूशायर ने समस्या पूर्ति इस प्रकार की :
'लाम' के मानिंद हैं काकुल मेरे घनश्याम के
हैं वो काफिर जो बन्दे नहीं इस 'लाम' के
(मेरे घनश्याम के केश 'लाम' की तरह घुंघराले हैं. जो इन घुंघराले बालों वाले के दास नहीं वे काफिर हैं। )
ज्ञातव्य हो कि उर्दू के वर्ण 'लाम' की आकृति गर्दन की तरफ जाने वाले घुंघराले बालों की तरह होती है।
कमाल का जबाव दिया मियां जी को....
जवाब देंहटाएंमैंने आपकी कुछ पहली पोस्ट भी पढ़ीं....सभी बहुत प्रेरणादायक हैं....
जवाब देंहटाएंऔर है वो जो काफ़िर तो लाजवाब है....आपका लिखा पढ़ कर अच्छा लगा...
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
मेरा मुख्य ब्लॉग भी देखें
http://geet7553.blogspot.com/
हाँ यह एक बहुश्रुत घटना है -रोचक !
जवाब देंहटाएंअच्छा कहा है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया........
जवाब देंहटाएंकाफ़िर का मतलब तो नास्तिक होता है, लेकिन जो इस्लाम को नही मानते वो किसी अन्य धर्म को तो मानते है, तो वो काफ़िर केसे हुये?? जबाब बहुत खुब सुरत था, ओर सवाल करने वाले मियां जरुर ्बगले झांकने लगे होंगे
जवाब देंहटाएं'लाम' के मानिंद हैं काकुल मेरे घनश्याम के
जवाब देंहटाएंहैं वो काफिर जो बन्दे नहीं इस 'लाम' के
वाह! ज़रा सोचिये की इसका उलट हुआ होता तो कितना बड़ा बवाल मच जाता.
'लाम' के मानिंद हैं काकुल मेरे घनश्याम के
जवाब देंहटाएंहैं वो काफिर जो बन्दे नहीं इस 'लाम' के
वाह्! क्या खूबसूरत जवाब दिया शायर महोदय ने....मियाँ जी की तो सचमुच में बोलती बन्द हो गई होगी.
बहुत प्रेरणादायक ,बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअच्छा कहा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा जवाब दिया शायर ने!
जवाब देंहटाएंआप ने भी सही किस्सा सुनाया.
आपका प्रकटीकरण और शायर का जबाब दोनों लाजबाब।
जवाब देंहटाएंजी बहुत शानदार और जान-दार जवाब वो भी भरपूर शालीनता से....
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक...
कुंवर जी,
खूबसूरत जवाब
जवाब देंहटाएंशानदार।
जवाब देंहटाएं--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
kya baat hai.....wah
जवाब देंहटाएंक्या बात है हेम जी ....!!
जवाब देंहटाएंलाम का सही अर्थ दिया आपने ....!!
वाह....कमाल कर दिया शायर साहब ने...
जवाब देंहटाएंएक छोटे से दृष्टांत से आपने कितनी बड़ी बात कह दी...
सचमुच संस्कार शिष्टता और सूझ बूझ यदि हो तो बड़ी आसानी से बिगड़े हालातों को सम्हाला भी जा सकता है और सटीक जवाब भी दिया जा सकता है...
आखिर कलम और तलवार की लड़ाई में कुछ तो फर्क होना चाहिए...गाली गलौज ही यदि कलमकार भी करेगा तो बाकी क्या बचेगा..