साहित्य और पत्रकारिता ने सामाजिक चेतना जागृत की है - ऐसा प्रायः कहा जाता है | स्वतन्त्रता संग्राम के समय यह धारा संभवतः तीव्र थी | ठीक उसी प्रकार, बल्कि उससे भी अधिक ब्लोगिंग के जरिये भी सामाजिक चेतना या किसी आन्दोलन का प्रवर्तन और उत्प्रेरण किया जा सकता है | इस कार्य के लिये ब्लोगिंग अधिक अनुकूल इस लिये है क्योंकि यहाँ ब्लोगर के मध्य आपसी संवाद आसानी से संभव है | मेरी पिछली पोस्ट का ही उदाहरण ले लीजिये जहां मैंने मोबाइल सर्विस कंपनियों द्वारा की जा रही बेईमानी का जिक्र किया था | टिप्पणियों से पता चला कि इस तरह की बेईमानी से पीड़ितों की संख्या काफी बड़ी है | बेचैन आत्माजी,राजेन्द्र जी, पी. एस. भाकुनी जी, हरकीरत जी, मो सम कौन जी , बबली जी, मानोज कुमार जी और संध्या गुप्ता जी ने भी इसी तरह के अनुभव होना बताया | हरकीरत जी और विचार शून्य जी ने जहां बी. एस. एन एल पर भरोसा करने का जिक्र किया वहीं रचना दीक्षित जी ने बी. एस. एन. एल को भी कटघरे में खडा कर दिया | उस पोस्ट को पढने वाले और उस पर टिपण्णी देने वाले बहुत थोड़े से लोगों में ही इतने पीड़ित निकल आये तो पूरे देश के पीड़ितों की विशाल संख्या का अनुमान लगना आसान हो जाता है| यह निष्कर्ष आपसी संवाद से ही संभव हो पाया और यह सम्वाद संभव हो पाया ब्लोगिंग के माध्यम से|
निष्कर्ष १ - मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियों की लूट और दादागिरी से उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या त्रस्त है |
मो सम कौन जी ने माना कि पीड़ित होते हुए भी बीस तीस रुपये की बात मान कर हम चुप रह जाते हैं | वास्तव में यही मानसिकता अधिकाँश पीड़ितों की है | इसी के चलते कंपनियों को गलत काम करने की शह मिलती है|
निष्कर्ष २ - अधिकाँश पीड़ित विभिन्न कारणों से इस दादागिरी को सहन कर लेते हैं और कोई प्रतिकार नहीं करते |
सतीश सक्सेना जी, बेचैन आत्माजी, विनोद कुमार पाण्डेय जी, सदा जी और अजय कुमार जी ने इस पीड़ा की शिकायत करने की बात कही | सतीश सक्सेना जी ने तो उपभोक्ता मंच जाने की बात कही थी | वास्तव में यदि समाधान चाहिए तो यही सही रास्ता है |
निष्कर्ष ३ - समस्या के सही समाधान के लिये सम्बंधित अधिकारी या विभाग को शिकयात करनी चाहिए |
मुझे इस तीसरे निष्कर्ष से प्रेरणा मिली और मैंने उपभोक्ता सलाह केंद्र में फोन कर के सम्बंधित कम्पनी के हमारे शहर के नोडल अधिकारी और उच्च अधिकारियों के फोन नंबर प्राप्त कर के उनसे संपर्क साधा और उनको धमकी भी दी कि यदि समाधान नहीं होता मैं दूर संचार नियामक प्राधिकरण( TRAI ) में शिकायत करूंगा |
अंततः कंपनी ने मुझसे जबरन वसूले पैसे मेरे खाते में वापस कर दिए | इन्हीं पैसों को वापस करने के लिये पहले वे साफ़ मना कर चुके थे | यदि मैंने इस घटना की पोस्ट ब्लॉग पर न दी होती और उस पर प्रेरणादायक टिप्पणियाँ न आयी होतीं तो मैं भी चुप बैठ चुका था | यदि बहुत सारे पीड़ित इस तरह की शिकायतें कंपनियों के अधिकारियों से करें और समाधान न होने पर TRAI से शिकायत करें तो हल निकलने की आशा की जा सकती है | TRAI के फ़ोन नंबर और ई मेल पता इस प्रकार हैं -
01123236308
01123233466
ap@trai.gov.in
निश्चित ही ब्लागिंग जन चेतना का उभार है!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने.
जवाब देंहटाएंअरे वाह,
जवाब देंहटाएंबधाई हो। आपने मुद्दा एकदम सही तरीके से उठाया। हम लोग रुपयों की मात्रा के कारण ही बहुधा चुप रह जाते हैं कि थोड़े से रुपये की बात है, लेकिन इस तरीके से हम खुद को इन कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ देते हैं।
बहुत अच्छा किया आपने जो TRAI के नं. व ई-मेल अपनी पोस्ट में डाल दिये।
सादर।
bilkul theek baat hai bloging se jan jeevan ke sarokaro par bahut saralta se vichar kiya ja sakta hai
जवाब देंहटाएंबहुत सही!
जवाब देंहटाएं--
हैप्पी ब्लॉगिंग!
bahut sahi baat ki
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
पाण्डेय जी अपने एक सही रास्ता दिखाया है. अभी तक तो मैं ब्लॉग्गिंग को सिर्फ टाइम पास ही समझता था. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआपने हमारा सम्बल बढ़ाया है यह लिख कर! बहुत सही!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
आप से सहमत है, हमारे यहां एक पेसा भी चलता है, ओर अगर किसी कम्पनी से आप के हिस्से मै एक द्स पैसे निकलते है तो आप को दस पेसे का चेक घर आ जायेगा, मुझे एक बार इन्कम टेक्स वालो की तरफ़ से २ डी एम का चेक आया था, जिसे मैने सम्भांल कर रखा है...इस कारण हमे भी यहां हिसाब किताब सही रखने की आदत है, वेसे मोबाईल वाले यहां भी ळूटते है... लेकिन इन ऊल्लू के पट्टॊ का ढंग अलग है, ओर ज्यादा तर सीधे साधे लोग या कोई गलती करे तो झट से इन के शिकंजवे मै फ़स जाता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है। इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए।
…………..
स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।
क्या यह एक मुश्किल पहेली है?
100 fisadi sahmat aapse.........
जवाब देंहटाएंachchi prastuti hetu abhaar
कई विषयों पर सार्थक पहल की है ब्लॉगजगत ने।
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग सिर्फ सामाजिक चेतना और जागरूकता के लिए ही है ,बांकी सब बकबास है ...
जवाब देंहटाएंजी हां हेम जी असल में तो ब्लॉगिंग का यही सबसे सार्थक उद्देश्य हो सकता है ...और कमोबेश इसका उपयोग इस दिशा में भी किया जा रहा है .......बस जिस दिन समवेत दिशा मिली उस दिन नजारा कुछ और ही होगा
जवाब देंहटाएंyah sach hai ki blog jagat ke jariye hame kafi jaankariyan mil rahi hain.yah ek bahut hi bada maadhyam ban sakta haibahut si samsyao ko suljhane ka.bahut hi prabhavshali lekh.
जवाब देंहटाएंpoonam
सही रास्ता.
जवाब देंहटाएंआपने सही किया ... लातों के भुत बातों से नहीं मानते हैं ...
जवाब देंहटाएंहेम जी बहुत बहुत शुक्रिया .......
जवाब देंहटाएंनंबर नोट कर लिए हैं .....!!
सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंहममें से अधिकतर यह मानकर चलते हैं कि मात्र उनकी पहल से व्यवस्था नहीं सुधरेगी। लेकिन बीजस्तर पर भी प्रयास जारी रहे तो एकदिन वृक्षरूपी समाधान निकल कर रहेगा।
जवाब देंहटाएंआपकी बात बिल्कुल सही है। हमें ब्लॉग का उपयोग ऐसे सार्थक कामों में भी करना होगा। ब्लॉग लेखक व पाठक भी तो एक छोटा सा समुदाय ही हैं।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
Pandye ji sadar abhinanadan, aap mere blg par aye iske liye mai appka abhari hon. aapka marg darshan bhavishya mein bhi milta rahega esi asha hai.
जवाब देंहटाएंDhanyabad.
girdhari Khankriyal
बिल्कुल सही कहा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसत्य वचन पाण्डेय जी!
जवाब देंहटाएंसार्थक सोच वाले लोग किसी भी माध्यम क सदुपयोग ही करेंगे।
ब्लोगिंग के माध्यम से बहुत से सार्वजानिक उपक्रम के काम हो सकते हैं ये महत्वपूर्ण जानकारी दे कर बहुत उपकार किया है हम ब्लोगर्स पर...आप का ये लेख प्रेरणादायी है...
जवाब देंहटाएंनीरज
ब्लॉगिंग एक विचारों के संचार का एक सशक्त माध्यम बन चुका है...सब कुछ संभव है..आपकी बात से सहमत हूँ मैं..
जवाब देंहटाएंआप से सहमत हूँ ... निश्चित ही ब्लॉगिंग एक शशक्त माध्यम है ...
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !