मैं पिछले आठ - दस साल से योगासन करता आ रहा हूँ |जब मैंने १९५० से निःशुल्क योगासन सिखाने वाले एक प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला लिया तो मुझसे मेरी बीमारियों के बारे में पूछा गया |तब मैंने उन्हें घुटने में कभी कभार होने वाले मामूली दर्द के बारे में बताना जरूरी नहीं समझा | सप्ताह भर के योगाभ्यास के बाद मेरे घुटने का दर्द काफी बढ़ गया |तब मुझे प्रशिक्षकों द्वारा बताया गया कि घुटने के दर्द वालों के लिये वज्रासन वर्जित है |वज्रासन बंद करने के बाद अब मेरा घुटने का दर्द समाप्त हो चुका है |
मैंने महसूस किया कि लगातार योगासन करने के बाद भी मेरा रक्तचाप कम नहीं होता और डाक्टर दवा की मात्रा बढ़ा देते हैं |आज से लगभग छः-आठ माह पूर्व मैं, बाबा राम देव द्वारा उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये योगासन सिखाने वाली एक सी डी ले आया | उसको देख कर मुझे लगा कि मैं वर्षों से कपालभाति प्राणायाम गलत तरीके से कर रहा हूँ | बाबा ने उस सी डी में चेतावनी भी दे रखी थी कि गलत तरीके से कपालभाति करने से रक्त चाप और बढ़ सकता है | तब से मैंने बाबा द्वारा बताये गए तरीके से कपालभाति करना शुरू कर दिया | पहले मेरा रक्तचाप १५० / ९० से लेकर १७० / ११० तक पहुँच जाया करता था अब वह ११० /८० से १३० / ८० तक आ गया है |मेरा मानना है कि रक्तचाप में यह कमी सही तरीके से कपालभाति करने के कारण आयी है |
अपने व्यक्तिगत अनुभव से मैं कह सकता हूँ कि योगासन द्वारा कमर दर्द और घुटनों के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है | लेकिन इसके लिये उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है अन्यथा योगासन आपको बीमार भी कर सकता है |
सावधानी से करें और धीरे धीरे करें।
जवाब देंहटाएंजि
जवाब देंहटाएंदिग्विजय सिंह के लिए और मसाला मिल गया :)
सहमत हैं, उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण में लाभदायक रहता है और इससे जीवनशैली भी प्रभावित करती और होती है।
जवाब देंहटाएंजी!
जवाब देंहटाएंजल्दी का काम शैतान का
ग़लती का काम नुक्सान का
किसी भी चिकित्सा पद्धति या व्यायाम पद्धति को सीखने के लिए योग्य प्रशिक्षक आवश्यक है अन्यथा वह हानी पहुंचा सकती है। योगासन इसका अपवाद नही है।
जवाब देंहटाएंउचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है अन्यथा योगासन आपको बीमार भी कर सकता है |-बिलकुल !
जवाब देंहटाएंaapne apne anubhawon ko sajha kiya is hetu aapka abhaar vyakt krta hun...............
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात . निसंदेह कम जानकारी और गलत प्रयोग नुक्सान कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंवाजिब कहा आपने
जवाब देंहटाएं।
सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंअति उत्तम जानकारी,सार्थक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंjankari ke liye shukriya
जवाब देंहटाएं__________________________________
मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||
योग अपने आपपर किया गया प्रयोग है !
जवाब देंहटाएंप्रयोग करो और रिजल्ट पाओ !
अच्छी जानकारी ! आभार मेरे ब्लॉग पर आनेका !
bilkul sahi aapne........adhkachra gyan aadmi ko le dubta hai ...
जवाब देंहटाएंदेखा देखी साधे योग
जवाब देंहटाएंक्षीणे काया बाढे रोग
पुराने लोग कहते थे योगासन गुरु की निगरानी में करना चाहिये।
bilkul sahi likha aapne.....
जवाब देंहटाएंbina prashikshak ke ise karna nuksaan dayak hota hai.
आप स्वस्थ रहें बस !
जवाब देंहटाएंआपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ .. कोई भी दवाई या क्रिया सही तरीके से न हो तो नुकसान पहुंचा सकती है ... आशा है आपका स्वस्थ अब ठीक होगा ...
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा, 'योगीराज कृष्ण' ने भी गीता में कहा की सभी गलतियों का कारण अज्ञान है...
जवाब देंहटाएंअपनी कहानियों आदि के माध्यम से प्राचीन ज्ञानियों को जानने का यदि प्रयास करें तो प्रतीत होता है कि योगियों ने मानव शरीर को ब्रह्मांड का प्रतिरूप जान 'अमृत शक्ति' और 'भौतिक मिटटी' का योग जाना... यानि सौर-मंडल के आठ सदस्यों, हरेक एक एक दिशा का राजा, सूर्य से बृहस्पति तक के सार में उपलब्ध कुल शक्ति को घोर तपस्या द्वारा मेरुदंड में विभिन्न स्तर पर आठ बिन्दुओं में ('चक्र' अथवा 'बंध' में) केन्द्रित जाना...
और ये सभी, नवें ग्रह शनि (सूर्य-पुत्र) के सार स्नायु तंत्र, के द्वारा जुड़ा भी जाना, जिसका कार्य सभी ग्रहों द्वारा उपलब्ध कराई गयी शक्ति को मूलाधार चक्र (मंगल ग्रह के सार) और सहस्रार चक्र (चन्द्रमा के सार) के बीच ले जाना, उपरी अथवा निचली दिशा में...
योगीराज 'कृष्ण' के - उनके पहले माता देवकी के सात बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु के पश्चात - मथुरा के कारागार में जन्म की कहानी भी संकेत करती है कि कैसे योगीराज के मस्तक में केवल एक बिन्दू पर ही सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रित थी... जो 'आम व्यक्ति' को 'कुण्डलिनी जाग्रत' कर मस्तक में उठाने द्वारा ही संभव है (और हर शिशु जन्म से पहले ९ माह अपनी माँ के गर्भ में ही कैद रहता है!)...
बहुत बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बजारू योग से बचना ही चाहिए ...मेरे भी ब्लॉग पर पर आने की प्रार्थना है
जवाब देंहटाएंव्यायाम सीखने के लिए योग्य प्रशिक्षक आवश्यक है अन्यथा वह हानी पहुंचा सकती है।
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
उचित प्रशिक्षण अपरिहार्य है।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी के लिए
जवाब देंहटाएंआभार स्वीकारें
satya kaha aapne
जवाब देंहटाएंपांडेय जी, आपको, परिजनों तथा मित्रों को दीपावली पर मंगलकामनायें! ईश्वर की कृपा आपपर बनी रहे।
जवाब देंहटाएं********************
साल की सबसे अंधेरी रात में*
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
बन्द कर खाते बुरी बातों के हम
भूल कर के घाव उन घातों के हम
समझें सभी तकरार को बीती हुई
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
प्रेम की गढ लें इमारत इक नई
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sahi kaha dajyu aapne............
जवाब देंहटाएंफिलहाल अपने विचार फेसबुक के पेज 'शकुनाखर-फेसबुक' में पोस्ट कर रहा हूँ।
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