लोक सभा चुनाव सन्निकट हैं. मई माह में नयी लोकसभा का गठन हो जायेगा.कौन जीतेगा कौन हारेगा इस की भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता. हाँ एक भविष्यवाणी मैं अवश्य कर सकता हूँ, वह है चुनाव विश्लेषक और स्तम्भ लेखकों के सम्बन्ध में. वे लोग हमेशा की तरह अवश्य अलापेंगे कि मतदाता परिपक्व हो चुका है. अब मतदाता को बरगलाया नहीं जा सकता. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वाहवाही की जायेगी.
हमारे बुद्धिजीवियों के इस आलाप पर मुझे ऐतराज है. आज भी मतदाता व्यक्ति की योग्यता के बजाय जाति, सम्प्रदाय, व्यक्तिगत स्वार्थ के आधार पर,नोट के बदले या डर कर वोट देता है. यदि ऐसा न होता तो राजनीतिक दल इन्हीं आधारों पर टिकट न बांटते. यदि ऐसा न होता तो मन मोहन सिंह चुनाव न हारते. यदि ऐसा न होता तो चुनाव के लिए ऐसे मुद्दों को न तलाशा जाता जो मतदाताओं को लुभा सकें. और यदि मतदाता लुभावे में आ जाता है तो वह परिपक्व कैसा ?
ठीक इसी तरह मुझे इस बात पर भी ऐतराज है कि दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतंत्र को भी परिपक्व बताया जाता है. मैं समझता हूँ कि परिपक्व लोकतंत्र की यह निशानी नहीं है कि किसी विमान उड़ाते पायलट को नीचे उतार कर सीधे प्रधान मंत्री की गद्दी पर बिठा दिया जाय. किसी गृहणी को चूल्हे से उठा कर मुख्यमंत्री बना दिया जाए.हमारी लोक सभा के अनेकों सांसद अपने आचरण से यह प्रकट नहीं होने देते कि वे परिपक्व लोकतंत्र की लोक सभा के सांसद हैं. मैं समझता हूँ कि हमारा तंत्र लोक की चिंता ठीक प्रकार से नहीं कर रहा है इसलिए परिपक्व लोकतंत्र कहलाने का हकदार नहीं है. मैं कामना करता हूँ कि विश्व का सबसे बड़ा यह लोक तंत्र परिपक्व बने.
हमारे बुद्धिजीवियों के इस आलाप पर मुझे ऐतराज है. आज भी मतदाता व्यक्ति की योग्यता के बजाय जाति, सम्प्रदाय, व्यक्तिगत स्वार्थ के आधार पर,नोट के बदले या डर कर वोट देता है. यदि ऐसा न होता तो राजनीतिक दल इन्हीं आधारों पर टिकट न बांटते. यदि ऐसा न होता तो मन मोहन सिंह चुनाव न हारते. यदि ऐसा न होता तो चुनाव के लिए ऐसे मुद्दों को न तलाशा जाता जो मतदाताओं को लुभा सकें. और यदि मतदाता लुभावे में आ जाता है तो वह परिपक्व कैसा ?
ठीक इसी तरह मुझे इस बात पर भी ऐतराज है कि दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतंत्र को भी परिपक्व बताया जाता है. मैं समझता हूँ कि परिपक्व लोकतंत्र की यह निशानी नहीं है कि किसी विमान उड़ाते पायलट को नीचे उतार कर सीधे प्रधान मंत्री की गद्दी पर बिठा दिया जाय. किसी गृहणी को चूल्हे से उठा कर मुख्यमंत्री बना दिया जाए.हमारी लोक सभा के अनेकों सांसद अपने आचरण से यह प्रकट नहीं होने देते कि वे परिपक्व लोकतंत्र की लोक सभा के सांसद हैं. मैं समझता हूँ कि हमारा तंत्र लोक की चिंता ठीक प्रकार से नहीं कर रहा है इसलिए परिपक्व लोकतंत्र कहलाने का हकदार नहीं है. मैं कामना करता हूँ कि विश्व का सबसे बड़ा यह लोक तंत्र परिपक्व बने.
दाज्यू पेलाग,
जवाब देंहटाएंजसिक तुमुल को 'दुनिया का सबसे बड़ा लोकत्रंत्र' .
'ठुल' चीज़ हमेशा 'भले' होल यो आवश्यक नि हूँ. और ठीक को तुमुल की हर बारा ज्यस यो बार ले केवल सुनूँ हुईं मिलोल की मतदाता जागरूक हे गो. बास्त्बिकता ये हाती कोसो दूर हवाल. हाज़रून सालानक गुलामिक मानसिकता बदलून में जान कटुक साल आई लागल. दाज्यू परेशैन तो यो छु की विकल्प नि छुंन . एक नाग नाथ छु तो दुहर साँप नाथ. एक भाल और एक बुर बाटिक select करूँ तो आसन हूँ पर द्युनू यदि नक् छुंन तो तब तो को कम नक् छु यो सोचूं पडूँ.
भौते भाल लेख.
पेलाग.
अब हमारे यहां लोकतंत्र नहीं बचा है.....आम आदमी जाति धर्म के चक्कर में लोकतंत्र को नहीं बचा पा रहा......हर जगह मनमानी है.....कानून को तोड मरोडकर अपने फायदे के लिए नेता कुछ भी कर सकते हैं..... ।
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र अगर इसे कहते है तो जंगल राज किसे कहेगे????
जवाब देंहटाएंहमे अभी सॊ साल लगे गे इस सच्चे लोकतंत्र को लाने मै.
धन्यवाद
ऐतराज और आक्रोश दोनों जायज है.
जवाब देंहटाएंमैंने इस पोस्ट में त्रुटिवश 'परिपक्व मतदाता' शब्द का प्रयोग कर दिया है. वास्तव में मतदाता के लिय 'जागरूक' शब्द का प्रयोग होना चाहिए था. दर्पण साह की टिप्पणि पढने के बाद मेरा इस ओर ध्यान गया. मैं ग़लत शब्द चयन के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ और दर्पण साह का आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएंलोग हमेशा की तरह अवश्य अलापेंगे कि मतदाता परिपक्व हो चुका है. अब मतदाता को बरगलाया नहीं जा सकता. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वाहवाही की जायेगी.
जवाब देंहटाएंbahut sahi.......do tuk me aapne sach likh diya
भाई...हमारा लोकतंत्र इतना बुरा भी नहीं है... ६० साल में सेना की हिम्मत नहीं हुई की सत्ता हथियाने की सोच भी सके, विकास धीमा ज़रूर है पर है तो सही, अगर भारत में लोकतंत्र इतना ही कमज़ोर होता तो यहाँ कभी भी सरकारें न बदलतीं ... इस बात पर सहमत हूँ की अभी हमें लम्बा रास्ता तै करना है और, निसंदेह हमें ख़ुद ही तै करना है, कोई और नहीं चलेगा...हमारे लिए...
जवाब देंहटाएंmai aapke baat se sahmat hu.....magar hame yahi to badalna hai....ham sab kuch to naho magar kuchh to badal hi sakte hai....
जवाब देंहटाएंहमारे देश में लोकतंत्र का अर्थ चुनाव और बहुमत समझ लिया गया है.प्राय यह मान लिया जाता है कि जहां नियमित चुनाव हो रहे हैं,वहां लोकतंत्र है. जब कि सच्चाई यह है कि दुनिया में अधिकतर फासिस्ट तानाशाह चुनावों के माध्यम से ही चुने गए थे. लोकतंत्र को सही अर्थों मे समझने के लिए सबसे पहले हमें लोकतंत्र ओर भीडतंत्र के बीच के अन्तर को समझना होगा.
जवाब देंहटाएंसही मायनों में तो भारत में लोकतंत्र कभी आ ही नहीं पाया है.स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक हम लोग सिर्फ भीडतंत्र में ही जी रहे हैं.
बतायें तो सही, कौन बने का प्रधानमन्तरी।
जवाब देंहटाएंमैं कामना करता हूँ कि विश्व का सबसे बड़ा यह लोक तंत्र परिपक्व बने.
जवाब देंहटाएं" i wish ki aapki ye wish puri ho.."
Regards
Wah...Hem ji, Wah......
जवाब देंहटाएंHeme ummid karni chahiye ki shayad kabhi to loktantra ki shakle dekhne ko milegi
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही लिखा है।
जवाब देंहटाएंआपकी बात भी सही और कामना भी उचित है
जवाब देंहटाएंRespected Hem Pandey ji,
जवाब देंहटाएंmain apkee baton vicharon se sahmat hoon ki aj hamare desh men jati,varg sampraday,dharm kee rajneeti ho rahee hai.lekin is bat se naheen ki ek havai jahaj ke pailat ko jahaj se utar kar pradhan mantree bana diya jay.ye shree Rajeev Gandhi kee hee den hai ki ham ap sabhee itnee asanee se ek doosare se sampark men hain.
doosare us samaya hamare desh men kaun sa aisa neta tha jo dharmikta,jativad,sampradayvad,se oopar uth kar desh ke bare men kuchh sochata.
Rajeev Gandhi ne kam se kam desh ko age badhane ke liye nishpaksh bhav se kam to kiya.
yadi koi bat apke samman ko thes pahunchane vali likhi ho to mafee ke sath.
Hemant Kumar
आदरणीय पांडे जी
जवाब देंहटाएं"आगामी चुनाव हेतु मेरी भविष्यवाणी" आलेख लिखकर आपने एकदम हकीकत का बयान कर दिया है.
वर्तमान में राजनैतिक पार्टियों के सिद्धांत तो रह ही नहीं गए हैं. सारे के सारे सत्ता पाओ सिद्धांत पर ही चल रहे हैं. आपने दिल को छू लेने वाली बातें कही है>>>>
"परिपक्व लोकतंत्र की यह निशानी नहीं है कि किसी विमान उड़ाते पायलट को नीचे उतार कर सीधे प्रधान मंत्री की गद्दी पर बिठा दिया जाय. किसी गृहणी को चूल्हे से उठा कर मुख्यमंत्री बना दिया जाए."
बधाई
- विजय
pandey ji pelag,
जवाब देंहटाएंachha likha hua hai, mujhe to lagata hai bhartiya loktantra ki kamar me nasoor ho gaya hai jo patan ki taraf ja raha hai...
Bahut acha likha aapne...
जवाब देंहटाएंmaja aaya bahut hi sahi kaha.
जवाब देंहटाएंकिसी विमान उड़ाते पायलट को नीचे उतार कर सीधे प्रधान मंत्री की गद्दी पर बिठा दिया जाय. किसी गृहणी को चूल्हे से उठा कर मुख्यमंत्री बना दिया जाए.हमारी लोक सभा के अनेकों सांसद अपने आचरण से यह प्रकट नहीं होने देते कि वे परिपक्व लोकतंत्र की लोक सभा के सांसद हैं. मैं समझता हूँ कि हमारा तंत्र लोक की चिंता ठीक प्रकार से नहीं कर रहा है इसलिए परिपक्व लोकतंत्र कहलाने का हकदार नहीं है. मैं कामना करता हूँ कि विश्व का सबसे बड़ा यह लोक तंत्र परिपक्व बने.... soch acchi hai aapki pr ise bdalna sambhav nahi....!!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने, हमारा लोकतंत्र अभी भी अपरिपक्व ही है।
जवाब देंहटाएंkal hi ki baat hai bhartiy charitr ka samaajik lekha banaane ka prayaas kar rahe the ham.
जवाब देंहटाएंsamvidhnik swatantrata ne jo mod liyaa hai bhartiy sanskaar usme taj diye gaye hai.
chunaav aur vote ki bhagambhag ne samaantaa ke adhikaaron ko badal dalaa hai uchch padasth vyakti ko swatantrataa alag tarah se pradaan ki jaati hai jabki samaany vyakti vanchit bana rahtaa hai.
aapne thik likhaa hai parivartan vote se ahi vichaaro ke dharaatal par ekjoot hokar hi mil sakegaa. chunaav badlaav ka madhyam nahi
आपका कहना बिल्कुल वाजिब है। पर एक अरब से ज्यादा की जनता जिसमें हर तरह का आदमी मौजूद है अपनी अपनी जात बिरादरी, मजहब, स्थानीय, राष्ट्रीय, अंर्तराष्ट्रीय, घरेलू सोच और इसी तरह के हजारों झमेलों के साथ तो और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। पढे लिखे लोग वोट देते नहीं हैं। जो लोग वोट देते हैं उन्हें पता नहीं कि वह क्या कर रहे हैं। मीडिया भ्रष्ट और Biased है। और आखिर में जो कुछ भी आता है वह ऐसा ही आता है जैसा आपने ऊपर बताया है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...आभार..
जवाब देंहटाएंbahut sahi likha hai.
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