बुधवार, 21 अप्रैल 2010

आपकी नीद आपकी पोल खोल देती है.

जब व्यक्ति सो रहा होता है तो वह अपने व्यक्तित्व को उदघाटित कर रहा होता है.देखिये कैसे -

गोल हो कर सोना - डरपोक प्रकृति।

लिहाफ में मुंह ढँक कर सोना - जीवन के तथ्यों से डर कर उनका सामना न कर पाना, असुरक्षा की भावना।

बार- बार बेचैनी से करवट बदलना - मस्तिष्क में विरोधाभासी तत्वों का काम करना या कोई बड़ी समस्या
सामने होना।

पीठ के बल फ़ैल कर सोना - संतुष्ट जीवन, असुरक्षा की भावना का न होना।

पेट के बल सोना - जीवन के तथ्यों से मुंह चुराना।

करवट से सोना - व्यर्थ के पचड़ों में न पड़ना, रिस्क न लेना, सदा सतर्क रहना।

अब आप स्वयं ही अपने सोने की आदत से अपने स्वभाव का आकलन कर लीजिये।

14 टिप्‍पणियां:

  1. badhiya jaankari ke liye dhanyavad
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    vivekvaishnav.blogspot.com/

    hindismsshayri.blogspot.com/

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  2. और अगर नींद ही न आ रही हो आजकल तो क्या करें? :)

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  3. ये भी खूब जानकारी रही..अब खुद को चैक करना पड़ेगा कि कैसे सोते हैं ज्यादा. :)

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  4. अरे वाह क्या बात है जी.... हम तो दो तरह से सोते है. १ पीठ के बल फ़ैल कर सोना दोनो बाहे पुरे विछतर पर फ़ेला कर, दुसरा करवट ले कर.
    धन्यवाद

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  5. बढिया जानकारी है...काफि हद तक सटीक लगती है.

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  6. ट्रांसलिटरेशन में देखो क्या से क्या हो गया
    दो शब्द लिखने चले, सिल सिला हो गया।

    कुछ का कुछ ही लिखा गया दोस्तों
    एक वाक्य लिखा वाकया हो गया।

    पोस्ट लिखकर बेसब्र हुआ टिप्पणी को
    रात भर जगा और दफ्तर में सो गया।

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  7. dajyu bhal jaankari di tumnle.......jinnn need ne uni unar liji bhali baat likhi re ........

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  8. रुचिकर और नयी जानकारी हमारे लिए ! अच्छा लगा ! शुभकामनायें !

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  9. आपने अद्भुत ज्ञान परोसा है. ज्योतिष के कई रूप हैं और उनमें मनुष्य का चलना-फिरना, वार्तालाप, हंसना, सोना सभी कुछ प्रवृत्तियों की व्याख्या में सहायक हैं.
    आप मेरे ब्लॉग तक आए, पढ़ा, प्रशंसा की, अच्छा लगा. यह अवसर मुझे फिर कब प्राप्त होगा?

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