एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी राजनीति और
मुआवजे के चक्रव्यूह में फंसती नजर आ रही है। भाजपा जहां इस त्रासदी के फैसले को मुद्दा बनानेपर तुली है वहीं कांग्रेस योजना आयोग द्वारा गैस पीड़ितों के लिये आनन फानन में दिए गए ९८२ करोड़ रुपये की मदद कोअपने प्रयासों का फल बता रही है। ज्ञातव्य है कि इससे पहले मध्य प्रदेश ने आयोग से ९०० करोड़ की मदद माँगी थी, लेकिन आयोग नेध्यान देने की जरूरत नहीं समझी। हालांकि गैस पीड़ितों के लिये काम करने वाले संगठनों ने भाजपा द्वाराप्रायोजित धरने का विरोध कर यह जताने की कोशिश की कि वे इस राजनीतिक नौटंकी को समझ रहे हैं,किन्तु डर है कि वेभी मुआवजे के भ्रमजाल में फंस कर मुख्य मुद्दे को भूल न जाएँ । गैस त्रासदी के तुरंत बाद भी मुआवजा मुख्य मुद्दा होगया था । स्वयं सेवी संगठनों सहित राजनीतिक पार्टियां और स्वयं पीड़ित भी थोड़ा बहुत मुआवजे के चक्कर में दोषियों को दण्डित करने के मुख्य मुद्दे को भूल गए थे।
निस्संदेह पीड़ितों को दिया गया मुआवजा त्रासदी को देखते हुए बहुत ही कम था,लेकिन यह भी सच है कि मुआवजे की राशि भी भ्रष्टाचार के भंवर में बुरी तरह फंसी। पूरी संभावना है कि भविष्य में भी यह होगा। भोपाल के कुछ विधायक और नेता जिनके वोटर गैस प्रभावित क्षेत्र की परिधि के बाहर हैं, उनको भी मुआवजा दिलाने के लिये प्रयत्नशील हैं.अंधा बांटे रेवड़ी.....
बहरहाल जो भी पीड़ित है उसे मुआवजे की बढ़ी हुई राशि अवश्य मिलनी चाहिए। मेरा अनुमान है कि राज्य और केंद्र सरकारों के अपने अपने गणित (मुआवजे दिलाने का श्रेय)के अनुसार यह काम होगा भी। लेकिन मुआवजे की इस राजनीति में दोषियों को दण्डित करने का काम पिछड़ न जाए। अब दोषी तत्कालीन सत्तासीन राजनेता और अधिकारी हैं,जिन्होंने तब पीड़ितों का नहीं वरन आरोपियों का पक्ष ले कर आपराधिक कृत्य किया था.
...प्रसंशनीय अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंलानत है काग्रेस पर, उस समय की सरकार पर जो देश के लोगो को धोखे मै रखे रखी, ओर गुनाह गारो को भगा दिया, ओर मुआवजा भी आधे से ज्यादा खुद ही डकार गई
जवाब देंहटाएंसत्य वचन!
जवाब देंहटाएंविनाशाय च दुष्कृताम...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसे 20.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंइन पच्चीस सालों में कितने लोग गुजर गये उन्हें क्या स्वर्ग में जाकर मुआवजा देंगे...
जवाब देंहटाएंहेम जी !
जवाब देंहटाएंप्रणाम। धृष्टता क्षमा करें - मैं आपके ब्लॉग पर कूर्मांचल लिखा देख कर बिना पढ़े ही टिप्पणी बक्से में आ घुसा। ऐसा लगाव है मेरा - कूर्मांचल से - या कुमाऊँ - प्रचलित नाम से पुकारूँ तो। आपका ईमेल पता नहीं मिला प्रोफ़ाइल पर - शायद आप अनावश्यक डिस्टर्ब होना न पसंद करते हों।
अब पढ़ूँगा पोस्टें जाकर, पहले कुछ बात कर ली - थोड़ा सा संतोष हुआ - थोड़ा सा और मज़ा इसलिए कि आपकी श्रीमद्भगवद्गीता में आस्था से और बल मिला - कि आप जैसे लोग भी हैं यहाँ।
प्रणाम।
Neton ki chaal bata rahi hai ki vo leepa poti karenge aur is baat ko bhulaane ki koshish karenge ...
जवाब देंहटाएं"असली दोषी वे लोग हैं जो कि सयंत्र के आस-पास रहते थे या फिर भोपाल में रहते थे और उनको तो सज़ा मिल ही चुकी है उनको मिल रहा मुआवज़ा तो बोनस है...शायद अर्जुन सिंह यही सोच रहे होंगे...."
जवाब देंहटाएंAapki baat se sahmat hoon.
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा
जवाब देंहटाएंअगर दोषियों को दण्ड नहीं मिला, तो इसका गलत संदेश जाएगा।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
मामला कोई भी हो आरोप साबित हो जाने पर दण्ड तो दिया ही जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर आपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और सामाजिक व्यवस्था छिन्न भिन्न होती है। हमेशा की तरह एक बार फिर प्रशंसनीय पोस्ट। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत हूँ धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने...
जवाब देंहटाएंमुआवजे से ज्यादा जरूरी है दंड ...एकदम सही कहा आपने .
जवाब देंहटाएंरचनात्मक और जरूरी पोस्ट के लिए बधाई.
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
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