विवेकानंद पाण्डेय
ने अपने ब्लॉग
देशभक्त में| इस ब्लॉग के माध्यम से वे संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण देने का प्रयास कर रहे हैं.ऐसे प्रयासों की सराहना की जाना चाहिए और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
निश्चित ही प्रयासों की सराहना की जाना चाहिए और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच. ब्लॉग की किसी भी धींगामुश्ती से अलग ऐसे साधक चुपचाप अपने काम में लगे हुए हैं. उनका प्रोत्साहन जायज़ है.
जवाब देंहटाएंनिसंदेह सराहनीय प्रयास है
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच सराहनीय प्रयास है
जवाब देंहटाएं... संस्कृत भाषा ... पर सीखने वालों की संख्या नगण्य ही रहने की संभावना है!!!
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों को प्रशंशा मिलती रहनी चाहिए !!
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं आप .. हिंदी ब्लॉग जगत में बहुत सकारात्मक कार्य हो रहे हैं !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रयास ।
जवाब देंहटाएंbahut hi saraahaneey prayaas. protsaahan milna chaahiye.hindi blogging me bahut hi saakaaraatmak kaarya ho rahe hain.
जवाब देंहटाएंनिसंदेह सराहनीय प्रयास
जवाब देंहटाएंब्लाग जगत में कुछ नहीं बहुत कुछ सार्थक हो रहा है। संस्कृत का अब बोलचाल की भाषा बने रहना तो संभव नहीं लगता। लेकिन इस भाषा में विश्व का अनुपम साहित्य और ज्ञान भरा पड़ा है। उसे जीवित रखने और मूल ही पढ़ने के लिए यह आवश्यक है कि लोग इस भाषा को कम से कम पढ़ना और समझना अवश्य सीखें। किसी भी रचना के मूल को पढ़ सकने का आनंद कुछ और ही है।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास वह भी है और सराहनीय प्रयास यह आपका भी है, दोनों को बधाई!
जवाब देंहटाएंपाण्डेय साधुवाद के पाञ हैं।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास
जवाब देंहटाएंएकदम सही कहा आपने...मैं भी संस्कृत सीखने का प्रयास करता हूँ.
जवाब देंहटाएंजी देखती हूँ ....कभी थोड़ी बहुत सीखी थी .....!!
जवाब देंहटाएंआपके अंदर आध्यात्मिक विचारधारा का प्रवाह है यदि आप मानवता व मानव धर्म आधारित आध्यात्मिक लेख अथवा विचार प्रेषित करें तो अवश्य ही आचार्य जी ब्लाग पर प्रकाशित किये जायेंगे, आपके विचार अधिक से अधिक लोग पढें व मनन करें यही उद्देश्य है, धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजय गुरुदेव
इस सूचना के लिए आभार।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
निश्चित ही प्रयासों की सराहना की जाना चाहिए और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
जवाब देंहटाएंइस सराहनीय प्रयास का स्वागत होना चाहिए ... ...
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