सोमवार, 9 अगस्त 2010

जीवन सच या झूठ ?

एक मय्यत  में  गया  था | कुछ पुराने  परिचित मिल गए | आजकल पुराने परिचितों से मेल मुलाक़ात  शादी ब्याह के समारोहों या मय्यत में ही हो पाती  है | मिलने पर बात चीत  मृतक से शुरू हो कर परिवार, बच्चे और राजनीति तक पहुँचती है | मृतक  चौरासी साल की आयु के थे | मंदिर जाने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक दिल  का दौरा पडा और चल बसे |

आदमी  अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी कर चुके तो इसप्रकार चलते फिरते चले जाना अच्छा ही है- मैंने कहा |
मेरी हाँ  में हाँ मिलाई  अडसठ-सत्तर वर्ष के  जोशी जी ने |
हमारी पीढी खुशनसीब रही-अड़सठ-सत्तर वर्ष के ही भट्ट साहब ने कहा | हमसे पहले की पीढी पचपन- साठ साल में ही इस लोक से विदा हो जाया करती थी | हममें कुछ अवेयरनेस आई | अब  हमसे आगे वाली  पीढी भी पचास- साठ साल से ज्यादा नहीं जियेगी | दोनों मियाँ बीबी कमाते हैं खाना बनाने  का समय नहीं, होटल चले जाते हैं | 
होटल  जाने की भी जरूरत नहीं | फोन करो और घर पर ही खाना हाजिर  - पचास वर्ष से कम  आयु के महेश का मत था |

सहसा मेरा  ध्यान कुछ परिचितों   की ओर गया जो पैंतीस - चालीस की उम्र में ही हृदयाघात से चल बसे थे  | मैं सोचने लगा- क्या भट साहब के कथन में सच्चाई है ? क्या नयी पीढी को  मिल रहा मिलावटी,कीटनाशकयुक्त भोजन,फास्ट फूड, काम का   बोझ  और तनाव,अनियमित दिन चर्या उनकी आयु के लिये घातक  बनता जा रहा है ? क्या नयी  पीढी अपने कैरियर बनाने  और  अर्थोपार्जन के चक्कर में अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती जा रही है? यदि ऐसा है तो यह एक गंभीर चिंता की बात है | प्राथमिकता तो स्वास्थ्य को ही मिलनी चाहिए |

श्मशान घाट पहुंचे | वहां एक स्थान पर लिखा  था- जीवन झूठ  है | मृत्यु सच है |
मैं सहमत नहीं हो पाया | मृत्यु सच है | जीवन भी सच है | जीवन की परिणति मृत्यु है | झूठ  की परिणति सच कैसे हो सकती  है ? जीवन को जीना है स्वस्थ रह कर सार्थकता के साथ |

22 टिप्‍पणियां:

  1. मृत्यु भी जीवन का ही एक छोर है और उतना ही सच है|

    जवाब देंहटाएं
  2. जीवन को झूठ मानने के पीछे यही मानसिकता रही होगी कि जीवन कब तक है, यह अनिश्चित है। अगले पल का भी तय नहीं कि सांस ले पायेंगे या नहीं।
    बातों को देखने का आपका नजरिया अच्छा लगा। आंख मूंदकर किसी बात को मानने से बेहतर है कि अपने विचार रखे जायें।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्राथमिकता तो स्वास्थ्य को ही मिलनी चाहिए |
    जीवन को स्‍वस्‍थ रहकर सार्थकता के साथ जीना जरूरी है .. आजकल ये सोंचता ही कौन है ??

    जवाब देंहटाएं
  4. सही है कि हमें स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह नहीं रहना चाहिए।
    बाक़ी सच झूठ तो बहस का विषय है।

    जवाब देंहटाएं
  5. mrityu ek nirarthak shabd hai.jeevan satya hai jo ek chakra par gatisheel hai.

    जवाब देंहटाएं
  6. विचार तो अच्छे हैं...
    _____________
    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  7. जब तक शारीर स्वस्थ है तब तक जीवन सत्य है अच्छा है सार्थक है , जब शरीर अस्वस्थ हो जाता है तब से स्वयं ही मृत्यु की कामना मन करने लगता है और वह ही आराम देने वाली और सच लगने लगती है | और ! शायद सच होती भी है ; तभी तो वृद्धावस्था में शरीर जर्जर हो जाता है जिससे चिर निद्रा की आकांक्षा करने लगता है | बहुत अच्छा चिंतन है प्रस्तुत किया है आपने |

    जवाब देंहटाएं
  8. मृत्यु जीवन की पूर्णता है।स्वस्थ्य जीवन ही स्वस्थ्य विचारधारा की कुंजी है।अतः स्वस्थ्य रहना बेहद जरूरी है।अच्छी पोस्ट है।

    जवाब देंहटाएं
  9. मृत्यु के तथ्य को नकारा नहीं जा सकता और जीवन जीना छोड़ा भी नहीं जा सकता।

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह! मृत्यु के सत्य और जीवन के झूट के मध्य से निकली ..... सुन्दर पोस्ट.

    जवाब देंहटाएं
  11. अपना स्वस्थ ठीक करना अति आवश्यक है तभी हम जीवन के हर पल को ख़ुशी से जी सकते हैं! हर इंसान को एक न एक दिन मरना ही है और ये सत्य वचन है तो क्यूँ न हम जितना दिन जिए हँसते खेलते जिए! उम्दा पोस्ट!

    जवाब देंहटाएं
  12. zindgi or mout ke beech ki post achi lagi......

    Meri Nayi Kavita Padne Ke Liye Blog Par Swaagat hai aapka......

    A Silent Silence : Ye Paisa..

    Banned Area News : Aniston gets restraining order against stalker

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत चाहकर भी,आप रोज़-रोज़ तो वैसी चीज़ें नहीं ला सकते जिनमें स्वास्थ्य के लिए कुछ भी हानिकर न हो। चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति ने मनुष्य का जीवन-काल बढा दिया है।

    जवाब देंहटाएं
  14. यह सोचना ठीक नहीं कि जीवन की परिणति मृत्यु है। हमारा दर्शन मृत्यु के परे भी जीवन देखता है। इसीलिए,मृत्यु को भी आत्मा द्वारा शरीर रूपी चोले को बदलना कहा गया है।

    जवाब देंहटाएं
  15. बिलकुल सही कहा आपने । सार्थक सन्देश । मगर मिलावट से कैसे बचा जाये ये ज़िन्दगी को लील रही है। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  16. samasyaa gambheer hai
    nidaan aavashyak hai
    insaan ko apni soch mei badlaav laana hoga
    aapka chintan saraahneey hai.. !

    जवाब देंहटाएं
  17. नई पीढ़ी का जीवन कठिन है व जीवन शैली अस्वस्थ। यह चिन्ताजनक तो है ही।
    घुघूती बासूती

    जवाब देंहटाएं
  18. स्वास्थ ही सम्पति है ऐसा कहा जाता है और यह शत प्रतिशत सही भी है, कितु आज की पीढ़ी सोचती है सम्पति है तो स्वास्थ भी बच जायेगा |
    म्रत्यु अगर सच है तो जीवन भी तो उतना ही सच है और इस सच को घिसटकर क्यों जिया जाये ?इसलिए स्वास्थ को तो सम्भालना ही होगा |बहुत सुन्दर ढंग से
    स्वस्थ जीवन का संदेश देती सार्थक पोस्ट |
    आज की महगाई ,प्रतियोगी माहौल ,भौतिक वस्तुओं की चाहत ने ,आज के युवाओ के स्वास्थ पर हमला किया ही है जो की चिन्तनी य है |

    जवाब देंहटाएं
  19. सार्थक विश्लेषण ... दोनो ही सत्य हैं ... जीवन भी उतन ही सच है जितनी मृत्यु ....

    जवाब देंहटाएं