धार्मिक कट्टरपंथ सामान्यतः अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता | लेकिन यदि धर्मग्रंथों की अच्छी बातों का कट्टरता से पालन किया जाय तो इस प्रकार की कट्टरता मानव कल्याण ही करेगी |
हजारों वर्ष पूर्व ही हमारे ऋषि मुनियों ने महसूस कर लिया था कि समाज में स्त्री शक्ति का सम्मान ही नहीं होना चाहिए अपितु उसे पुरुष की अपेक्षा श्रेष्ठ भी माना जाना चाहिए | सद्यः संपन्न नवरात्र पर्व इसी तथ्य की ओर इंगित करता है | मातृ शक्ति का पूजन और कन्या पूजन की परम्परा संभवतः समाज में नारी को आदर का स्थान देने के लिये ही की गयी थी | इस लिहाज से वे ऋषि मुनि नारी सशक्तीकरण के प्रवर्तक थे |
किन्तु व्यवहार में देखा जाता है कि हिन्दू समाज में ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित नारी की श्रेष्ठता का सम्मान नहीं किया जा रहा है | यदि हिन्दू समाज नारी-श्रेष्ठता को हिन्दू धर्म का अनिवार्य अंग मान कर कट्टरता से उसका पालन करे तो यह कट्टरता श्रेयस्कर ही होगी |
हजारों वर्ष पूर्व ही हमारे ऋषि मुनियों ने महसूस कर लिया था कि समाज में स्त्री शक्ति का सम्मान ही नहीं होना चाहिए अपितु उसे पुरुष की अपेक्षा श्रेष्ठ भी माना जाना चाहिए | सद्यः संपन्न नवरात्र पर्व इसी तथ्य की ओर इंगित करता है | मातृ शक्ति का पूजन और कन्या पूजन की परम्परा संभवतः समाज में नारी को आदर का स्थान देने के लिये ही की गयी थी | इस लिहाज से वे ऋषि मुनि नारी सशक्तीकरण के प्रवर्तक थे |
किन्तु व्यवहार में देखा जाता है कि हिन्दू समाज में ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित नारी की श्रेष्ठता का सम्मान नहीं किया जा रहा है | यदि हिन्दू समाज नारी-श्रेष्ठता को हिन्दू धर्म का अनिवार्य अंग मान कर कट्टरता से उसका पालन करे तो यह कट्टरता श्रेयस्कर ही होगी |