तुमने मेरे उर की सूनी वीणा को झंकृत कर डाला
तुमने मेरे मन की ऊसर बगिया को सिंचित कर डाला.
तुमने ही तो मुझ मूरख को सरस प्रेम का पाठ पढ़ाया
फ़िर क्यों छीन लिया मुझसे,तुमने यह प्याला, ओ मधुबाला.
मैं तो तट पर बैठा,सागर की लहरों को ही गिनता था
उन लहरों में खो कर मैं अपने प्रिय को देखा करता था
तुमने पार लगाने का कह, मुझको नैया पर बिठलाया
फ़िर क्यों आज डुबोया मुझको, मैं क्या तेरा अरि लगता था?
मैं डूबा हूँ, तुम उतराते, जाओ पैरो, पार लगो ना
मेरा तो अब ह्रास हुआ है, जाओ मुझसे दूर, बचो ना.
किंतु सोचता हूँ यह मन में, तुम सुख से रह पाओगे क्या?
पछताओगे नहीं कभी क्या, इस करनी पर प्रिये, कहो ना.
achchi kavita hai or samvedanshil v.
जवाब देंहटाएंbade bhai, mere blog par apni har nai rachna ka link awashya dijiyega, bahut achcha laga padhkar
जवाब देंहटाएंनए साल में आपकी और भी कई बेहतरीन रचनाएं पढने मिलें । नए साल की मुबारकबाद ।
जवाब देंहटाएंBeloved Hemji
जवाब देंहटाएंYour poems,stories are very interesting and message oriented.
Wish you a very happy new year 2009 with a lot of fame in your life.
achhi rachna hai....
जवाब देंहटाएंmubaarakbaad........
NAV VARSH KI SHUBH KAMNAAYEI
---MUFLIS---
नव वर्ष मंगल मय हो
जवाब देंहटाएंआपका सहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
ऐसा व्यक्ति जो कहता हो कि मै डूब जाऊं तुम पार उतर जाओ ,वो यदि छोड़ कर चला जाता है तो वह सुख से कैसे रह पायेगा
जवाब देंहटाएंबहोत ही बढ़िया लिखा है आपने खयालात बहोत है बढ़िया गढे है,सुंदर अभिब्यक्ति है इसमे ..
जवाब देंहटाएंढेरो बधाई ...
अर्श
नव वर्ष मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है
sir...maine bhajan ko hi likh diya hai !! yeh bhajan Swami Satyamitranand ji ka hai...ye youtube par bhi available hai !
जवाब देंहटाएंतुमने मेरे उर की सूनी वीणा को झंकृत कर डाला
जवाब देंहटाएंतुमने मेरे मन की ऊसर बगिया को सिंचित कर डाला.
तुमने ही तो मुझ मूरख को सरस प्रेम का पाठ पढ़ाया
फ़िर क्यों छीन लिया मुझसे,तुमने यह प्याला, ओ मधुबाला.
सुंदर अभिब्यक्ति ....
नए साल की मुबारकबाद ......
हेम जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार
आपने सच कहा , यदि हम पिछली बुराइयों और कमियों को मुड़ कर देखें और उनकी पुनरावृति के प्रति सजग रहें तो उद्देश्य की प्राप्ति और सफलता में संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं रहेगी
आपका
विजय
पढ़कर अच्छा लगा. प्यार की श्रंखला भी बड़ी रोचक रही.
जवाब देंहटाएंनए साल की मुबारकबाद ।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंभाई साहब, कविता बहुत बढ़िया लगी, मन को छू गई .बरबस ही ये पंक्तिया याद आ गई -
जवाब देंहटाएं" इस पार प्रिये तुम हो मधु है , उस पार न जाने क्या होगा.''
देबिया
sunder ,naye varsh ki shubhkamna.
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिब्यक्ति है
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगल मय हो
abhivakti
जवाब देंहटाएंaur
padaankan ki
niraali shaili se ru ba ru hua
मैं तो तट पर बैठा,सागर की लहरों को ही गिनता था
जवाब देंहटाएंउन लहरों में खो कर मैं अपने प्रिय को देखा करता था
सुंदर पंक्तियाँ, बच्चन जी की याद आ गयी
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
जवाब देंहटाएं2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!
हेम जी
जवाब देंहटाएंआपका ये प्रयास सार्थक और अनुकरणीय है.
अच्छा लगा आपके द्बारा चयनित श्रेष्ठ पंक्तियों को पढ़कर.
आपके साथ ही साथ उन कवियों का भी आभार जिन्होंने ये लिखा है
- विजय