नव वर्ष पर अनेक ब्लोगर बंधुओं ने अपनी प्रस्तुतियां दी थीं. उनमें से जिन काव्य प्रस्तुतियों को मैं पढ़ पाया और मुझे अच्छी लगीं, उन्हें मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. आशा है जो बन्धु इन प्रस्तुतियों को नहीं पढ़ पाये थे, वे लाभान्वित होंगे.
सबसे पहले मैं उल्लेख कर रहा हूँ गौतम राजरिशी जी का. उन्होंने नव वर्ष पर एक बहुत सुंदर गजल दी है. कुछ शेर प्रस्तुत हैं :
दूर क्षितिज पर सूरज चमका, सुबह खड़ी है आने को
धुंध हटेगी,धूप खिलेगी,साल नया है छाने को.
प्रत्यंचा की टंकारों से सारी दुनिया गूंजेगी
देश खड़ा अर्जुन बन कर गांडिव पे बाण चढाने को.
साहिल पर यूँ सहमे सहमे वक्त गंवाना क्यों यारो
लहरों से टकराना होगा पार समंदर जाने को.
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साल गुजरता सिखलाता है, भूल पुरानी बातों को
साज नया हो, गीत नया हो, छेड़ नए अफ़साने को
कवि योगेन्द्र मौदगिल की प्रस्तुति में उन्होंने नए साल के स्वागत में होने वाली अनेकों कुरूपताओं का वर्णन करते हुए अंत में बहुत मोहक बात कही है :
संभव है तो रखो बचा कर, थोड़ी शर्म उजाले की
अंधेरे आ कर समझाएं नए साल के स्वागत में.
परमजीत बाली ने अपने ब्लॉग 'दिशाएं' में पुराने साल की विदाई और नए साल का स्वागत अपनी प्रभावी प्रस्तुति से इस प्रकार किया :
मेरे सपनों को
साथ लेकर,
मेरे अपनों की
यादें देकर,
देखो !
वह जा रहा है...............
नया साल आ रहा है.
देव की प्रस्तुति 'नव वर्ष है नव प्रभात है' नाम से आई, जिसमें कुछ संकल्प लिए गए हैं, जिन्होंने मुझे प्रभावित किया :
पथ में कुछ मुश्किल तो होगी
कुछ बाधाएं सरल न होंगी
अंधियारों में चलना होगा
गम भी हमको सहना होगा
गीत नए फ़िर भी गढ़ना है
स्वपन सुनहरे सच करना है.
अभिव्यक्ति ने नए साल से पूछा है कि पिछले साल के इतने घावों के बीच भला उसका स्वागत कैसे किया जा सकता है. उन्होंने कामना की है :
दे देना
सवालों के जवाब
मुरझाये चेहरों को
संभावनाओं का आकाश
बुझी आंखों में
आशा है और विश्वास
सपनों को देना पंख
जो भर सके ऊंची उड़ान
दे दो ऐसा स्वर्णिम विहान.
पंडित डी. के. शर्मा "वत्स" ने अपने ब्लॉग में सुश्री संध्या की अनुभूति पत्रिका में प्रकाशित रचना प्रस्तुत की. उस रचना के कुछ अंशों से ही रचना की मादकता का अंदाजा लग जाता है :
फिर से उम्मीद के नए रंग
भर लाएँ मन में नित उमंग
खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल
उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब
शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
मुझे खुशी है कि ब्लॉग जगत में प्रभावी रचनाएं पढने को मिल रही हैं. भविष्य में भी कोशिश करूंगा कि जो अच्छा लगे उसे यहाँ प्रस्तुत करुँ.
हेम जी आपका शुक्रगुजार हूं कि आपको मेरी रचना पसंद आयी...मैं तो अभी बस सीख रहा हूं गज़ल को
जवाब देंहटाएंअपनी शुभकामनायें बनी रहने दे...
नये साल की तमाम बधाईयां
bahut-baht dhanyawaad
जवाब देंहटाएं-jaya
bahut acchi rachna hai...bahut bahut aabhaar
जवाब देंहटाएंहेम जी,ये तो बहुत ही सार्थक प्रयास है...........इससे अच्छा क्या हो सकता है कि पाठक को एक ही जगह पर भांती-भांती की रचनाऎं पढने को मिल सकें.
जवाब देंहटाएंइसी प्रकार आप आगे भी खूब लिखें,अच्छा लिखें
Apne bahut achha observation kiya hai.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दे कर आप के इस प्यार को हल्काऊंगा नहीं....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका आलेख अच्छा लगा, इन ब्लोग्स पर जाकर रचनाएं भी पढ़ लीं!
जवाब देंहटाएंAAPKE BLOG PAR AAKAR AISA LAGAA KI AISI RACHNAAO SE YUVAAO KO JUDNAA CHAHIYE.....
जवाब देंहटाएंहेम जी...
जवाब देंहटाएंआपके कामेंट का धन्यवाद..
आपके ब्लाग को घोट कर पी गया... कई लोगों को एकाएक मेरे पर प्यार आने लगा है ः-)
आदर सहित
काव्य रचनाओं की ब्लॉगजगत में विविधता भी है और अधिकता भी। यह अच्छा है कि लोग अभिव्यक्त हो रहे हैं और अभिव्यक्तियां परस्पर पढ़ भी रहे हैं।
जवाब देंहटाएंकुछ रचनायें, जैसा आपने लिखा, बहुत प्रभावी हैं।
सही है भाई कुछ नहीं पढ़ पाये थे
जवाब देंहटाएंBahut hi badhiya laga...dhanyawaad!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संकलन किया आपने !
जवाब देंहटाएंaapne bahut achhi smeekshaa ki haibadhaaI
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा कर रहे हैं आप, जब भी नयी पोस्ट लिखें मेरे ब्लाग पर लिन्क देने की कॄपा करें.
जवाब देंहटाएंबढ़िया कोशिश है यह .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति....शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंवैसे तो हम बड़ी देर से आये लेकिन क्षमा रखिए, नववर्ष की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएं---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
swagat nav varsh ka
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