भ्रष्टाचार हम लोगों के लिए कोई नया मुद्दा नहीं है और न ही हमें इससे विशेष परहेज ही है.दूसरे शब्दों में भ्रष्टाचार हमारे समाज में घुलमिल गया है, रच-बस गया है. टी टी को रिश्वत दे कर ट्रेन में जगह पा लेना या गैस वाले से ब्लेक में बिना नंबर के गैस खरीद लेना, सिनेमा के टिकट ब्लेक में खरीदना आदि कृत्य आम बात हैं. भ्रष्टाचार का एक और रूप है - बख्शीश.पोस्टमैन या सफाई वाले को आपने त्योहारों पर बख्शीश नहीं दी तो आपकी डाक समय पर और सकुशल पहुँचने तथा आपके घर के पास की सड़क की सफाई की संभावना काफी कम हो जाती है, यद्यपि इन लोगों को इस काम के लिए सम्बंधित विभाग से वेतन मिलता है. अनेक लोग तो बख्शीश को भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखने पर ऐतराज भी कर सकते हैं.
मैं आज एक अन्य श्रेणी के भ्रष्टाचार की चर्चा करने जा रहा हूँ. इस भष्टाचार की इजाजत शासन ने स्वयं दे रखी है. इस तरह के भ्रष्टाचार का एक उदाहरण पेट्रोल पम्प हैं. पेट्रोल और डीजल के दाम इस तरह निर्धारित होते हैं कि आप चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते और आप को हर बार अपने वाहन में पेट्रोल, डीजल भराने पर पेट्रोल पम्प वाले को कुछ पैसे अधिक देने ही होते हैं. आप पेट्रोल की मात्रा कुछ पॉइंट घटा बढ़ा कर इस घाटे को कम कर सकते हैं,इससे ज्यादा कुछ नहीं. .यही हाल मोबाईल कंपनियों का है. नए लांच हुए टाटा डोकोमो को छोड़ कर सभी मोबाइल कंपनियाँ प्रति मिनट पल्स के हिसाब से पैसा वसूलती हैं. सामान्यतः बात कुछ मिनट और कुछ सेकंड होती है. इस प्रकार प्रत्येक वार्ता में आपको उन सेकंड का भी भुगतान करना होता है, जिनका आपने उपयोग ही नहीं किया.
टाटा ने अपनी जी एस एम मोबाइल सर्विस डोकोमो नाम से शुरू की है. इसमें वे एक पैसा प्रति सेकंड की दर से देश में कहीं भी बात करवा रहे हैं.इस तरह टाटा डोकोमो के उपभोक्ता अब उन सेकंड के लिए भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिनका उन्होंने उपयोग ही नहीं किया है. अब तक प्रति मिनट की पल्स की अनुमति देकर शासन ने मोबाइल सेवा कंपनियों को लूटने की खुली छूट दे रखी है. ट्राई को चाहिए कि वह सभी मोबाइल सेवा कंपनियों को प्रति सेकंड पल्स के लिए बाध्य कर के उपभोक्ताओं को राहत दे. हम तो केवल कामना ही कर सकते हैं कि ईश्वर ट्राई को सद्बुधि दे या मोबाइल कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा के कारण ग्राहकों को यह सुविधा स्वेच्छा से दे दें.
Par svechha se kaun kaam karta hai?
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
आपको हमसे ईर्ष्या करनी चाहिए हमारे यहां दिल्ली में तो कई कई को लूट की छूट है
जवाब देंहटाएंलेकिन मुझे लगता है कि डोकोमो वाले भी कम से कम कुछ पैसे का स्टैण्डर्ड चार्ज तो रखेंगे. नहीं क्या?
जवाब देंहटाएंयदि किसी ने सिर्फ दस सैकंड ही "हाँ हूँ" की तो क्या वे दस पैसे ही काटेंगे?
इस तरह वे अपनी कंपनी कैसे चलाएंगे?
@निशांत मिश्रा फिलहाल तो यही हो रहा है.वे ८० रुपये में नयी सिम दे रहे हैं जिसमें ४७ रुपये टॉक टाइम है. आउटगोइंग एक पैसा प्रति सेकंड है. लोग धल्लडे से आउटगोइंग के लिए नयी सिम खरीद रहे हैं. अलबत्ता रीचार्ज में टेक्स फ्री योजना अभी नहीं है.
जवाब देंहटाएंआपका कहना वाजिब है। दरों में ट्रांसपेरेंसी कम ही है मोबाइल क्षेत्र में।
जवाब देंहटाएंachcha visay uthaaya hai aapne. chinta jayaj hai.........
जवाब देंहटाएंTata ye ek naam aisa hai,jiska poore wishv me aadar hota hai..ek wishwaas ka prateek hai..aisa nahee ki, tata kee kisee bhee karobaar me bhrashtachar na ho..lekin jahan mukhiya in baton se parhez karta hai,wahan,niyukt log sambhalke rahte hain..
जवाब देंहटाएंMaafee chahatee hun..copy to ho raha tha, lekin 'paste' nahee..!
Chinta ki baat.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
realistic rachna.....
जवाब देंहटाएंहेम जी ,
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है ....लेकिन इस भ्रष्टाचार पर रोक लगे तो कैसे..?हम आप ही तो इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते है ....
हेमंत कुमार
आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है और सही मुद्दे को लेकर बड़े ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है! मामला बड़ा गंभीर है और चिंता का विषय है!
जवाब देंहटाएंसब प्रतिस्पर्धा है..और हम सब लोग दिखावे मे इस लूट को सार्थक बना रहे है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी...सुंदर लेख के लिए बधाई..
GAMBHEER VISHAY को BAAKHOOBI लिखा है ...........
जवाब देंहटाएंहेम जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने .बधाई!! एक बात और कहूँ,आप का टिपण्णी करने का अंदाज़ सचमुच सराहनीय है. मन का हौसला बढ़ता है. आपको दिल से धन्यबाद!!
भ्रष्टाचार तो हमारी रग रग मे और देश की मुट्टी के कण कण मे समा गया है। आपने जो क्षेत्र बताये हैं इनमे एक ये भी शामिल कर लेते कि दुकानदारों के पास जब कोई चीज़ लेने जाओ तो छुट्टा नहीं है कह कर अपकोटाफी पकडा देगा। ये भी तो भ्रश्टाचार है--- दिन मे कितनी कमाई करता होगा?--- जब खून ही कुत्ते बकरी के खून कि मिलावट से आदमी को चढने लगा है तो फिर इस तरह के भ्रश्ताचार तो आटे मे नमक की तरह लगते हैं बहुत अच्छा विशय है शायद ऐसा ही आलेख पहले भी पढा है आभार
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