'ईद का पर्व मंगलमय हो' - मैंने सतीश सक्सेना के ब्लॉग 'मेरे गीत' में ईद पर लिखे लेख पर यही टिप्पणि दी है। सामान्यतः आशा की जाती है कि लोग ईद की मुबारकबाद दें और नवरात्र तथा विजयादशमी पर शुभकामनाएं भेजें। शुभकामना एक हिन्दी शब्द है और मुबारक उर्दू। इस तरह हम हिन्दी को हिन्दुओं और उर्दू को मुसलामानों के त्योहारों से जोड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं, जो कि सरासर ग़लत है। यह साम्प्रदायिकता का ही एक नमूना है। हम हिन्दीभाषी हैं और अपनी शुभकामनाएं हिन्दी में प्रेषित करें तो कुछ भी ग़लत नहीं करते.यहाँ 'मुबारक'शब्द इस चर्चा का एक बहाना है।यह शब्द तो हिन्दी में घुल मिल गया है।मैं उस मानसिकता का विरोध करना चाहता हूँ जो हिन्दी को हिन्दुओं और उर्दू को मुसलमानों से जोड़ती है.यही बात संस्कृत को ले कर भी है। संस्कृत में कही बात हिन्दुओं से सम्बंधित मान ली जाती है। यहाँ मैं फारसी का जिक्र इस लिए नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि संस्कृत हमारे देश की भाषा है और हमारा सरोकार फारसी के मुकाबले संस्कृत से बहुत अधिक है।
हमें भाषा को भाषा ही रहने देना चाहिए। उसे धर्म से जोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
AAp ko bhi EID Ki Bahut bahut badhayi...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है, दोनों भाषाएँ हमारी हैं, ईद की शुभकामनायें और नवरात्रि पर मुबारकबाद स्वीकारें भाई जी !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपको भी नवरात्र पर्व और ईद की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंभाई हमारी तरफ़ से ईद की मुबारकवाद, ओर नवरात्रो की शुभकामनाये
जवाब देंहटाएं"हमें भाषा को भाषा ही रहने देना चाहिए। उसे धर्म से जोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"
जवाब देंहटाएंअनुसरण करने योग्य बात.
पर्वों के इस मौसम में यथोचित शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
भाषा विचारों को शब्द प्रदान
जवाब देंहटाएंकरने का एक माध्यम भर है
इसीलिए इसे किसी धरम
या छेत्र से जोड़ना उचित
नहीं होगा इसीलिए पाण्डेय जी
झल्ले की बधाई+मुबारक
नवरात्रों की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंईद मुबारक!!
अच्छी चर्चा छेड़ी है आपने ----पर अभी मैं सिर्फ़ आपको ईद और नवरात्र दोनों की मंगलकामनायें भेज रहा हूं।
जवाब देंहटाएंहेमन्त कुमार
बिलकुल सही है आपका कहना और करना भी !
जवाब देंहटाएंहेम जी
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे !
बहुत ही विचारणीय पोस्ट आपने लिखी है,
बधाई ,
रत्नेश त्रिपाठी
हमें भाषा को भाषा ही रहने देना चाहिए। उसे धर्म से जोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंBahut pate ki baat hai.
Eid ki mubarakbad.
धर्म और भाषा का क्या सम्बन्ध ? दक्षिण के मुस्लिम ,बंगाल के मुस्लिम उर्दू कहाँ बोलते हैं ? रशिया के मेरे एक मित्र थे अंसारुद्देन इब्राहिमोव यह नाम भी देखिये उन्हे उर्दू नही आती थी । सो यह प्रश्न है ही नही ।
जवाब देंहटाएंसहमत-भाषा को भाषा ही रहने देना चाहिए.
जवाब देंहटाएंईद एवं नवरात्रे की शभकामनाएँ.
आदरणीय हेम जी,
जवाब देंहटाएंएक सार्थक पहल की बात की है आपने, कि भाषा हमारे विचारों के संप्रेषित कर एक दूसरे से जोड़ने की बजाय अपने उद्देश्य से विपरीत हमें बाँट रही है। और हमारे कतिपय राजनैतिज्ञ उसे अपने फायदे के लिये ब ही हवा दे रहे हैं।
सटीक बात कही है, हम आपके साथ हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
AAPKO BHI ED AUR NAVRAATRI KI BAHOOT BAHOOT BADHAAI ..... AAPKI BAAT SAHI HAI KISI BHI PARV KO BHAASHA, SANKEERNTA AUR VIVAAD SE PARE RAKHNA CHAHIYE .....
जवाब देंहटाएंएक इण्ट्रा-इस्लामिक भाईचारा है, जिसने बहुतों को इस्लाम की तरफ आकर्षित किया (तलवार की कट्टरता के इतर)। वह भाईचारा इण्टर-इस्लामिक भाईचारे में बदल जाये तो आनन्द ही आनन्द।
जवाब देंहटाएंपर आपके सोचने से आनन्द आता है क्या?
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह एक विचारणीय मुद्दा सामने लाये हैं आप| विचारों से पूर्ण सहमति है|
जवाब देंहटाएंaapki bat se shmt hai
जवाब देंहटाएंविचारणीय पोस्ट में चर्चा के अच्छे मुद्दे को उठाया है. आपकी बात तर्कसंगत और काफी उचित है,
जवाब देंहटाएंदशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.
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